7 साल पहले भोपाल से एक ऐसी खबर आई जिसने सबके रौंगटे खड़े कर दिए थे। इस घटना में एक सिरफिरे आशिक ने अपनी प्रेमिका की हत्या कर उसका शव उसी बेडरूम में गाड़ दिया था जहां वह सोता था। जब यह केस सुलझता गया तो ऐसा खुलासा हुआ, जिसने सबके होश उड़ा दिए। कातिल एक साइको किलर था। उसने तीन कत्ल किए थे। दरअसल पश्चिम बंगाल के बांकुरा की रहने वाली आकांक्षा की दोस्ती साल 2007 में सोशल मीडिया के जरिए उदयन नाम के एक लड़के से हुई थी। दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। बाद में दोनों की मुलाकातें होने लगी। दोनों का रिलेशन 7 साल तक चलता रहा। आकांक्षा उदय के प्यार में पागल हो चुकी थी। वह उसे किसी हालत में नहीं खोना चाहती थी।
परिवार से कहा था अमेरीका में नौकरी करती हूं
आकांक्षा ने अपने परिवार वालों को कहा कि वह नौकरी करना चाहती है इसलिए भोपाल चली गई। वहां वह उदयन के साथ साकेत नगर में रहने लगी। इस दौरान उसने अपने परिजनों को बताया कि वह अमेरिका में नौकरी कर रही है। परिवार वाले इस बात से काफी खुश थे। लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनकी बेटी के साथ क्या होने वाला था। एक दिन अचानक ही आकांक्षा की अपने परिवारवालों से बातचीत बंद हो गई। घरवालों ने काफी कोशिश की लेकिन कुछ पता नहीं चला। जब आकांक्षा के भाई ने नंबर ट्रेस करावाया तो उसका लोकेशन भोपाल निकला। तब जाकर परिवार को शक हुआ कि आकांक्षा भोपाल में उदयन के साथ रह रही थी। अब घरवालों को उसकी चिंता सताने लगी थी। इसके बाद परिवार वालों ने पुलिस थाने जाकर आकांक्षा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद बांकुरा पुलिस की टीम फौरन भोपाल आई लेकिन फिर भी कुछ पता नहीं चला। फिर भोपाल पुलिस की मदद ली गई और छानबीन शुरू हुई।
बेडरूम में दफन थी आकांक्षा की लाश
पुलिस को जांच में पता चला कि उदयन ने आकांशा की हत्या कर दी थी। और उसकी लाश को अपने घर के बेडरूम में गाड़ दिया था। ऊपर से फर्श करा दिया था। पुलिस ने उसी की निशानदेही पर लाश के अवशेष बरामद किए। बांकुरा पुलिस ने आरोपी उदयन के खिलाफ 30 अप्रैल 2017 को केस डायरी समेत करीब 600 पेज की चार्जशीट अदालत में पेश की थी। 9 गवाहों के बयान और सभी साक्ष्यों के आधार पर उसे अदालत ने दोषी करार दिया और उम्र कैद की सजा सुनाई। इसी जांच में पता चला कि उदयन ने साल 2010 में अपने माता-पिता की भी हत्या कर दी थी। दोनों के शवों को घर के ही गार्डन में दफना दिया था। 13 साल पहले मां इंद्राणी और पिता वीरेंद्र दास की गला घोंटकर हत्या कर दी थी। फिर उनकी लाशों को गड्ढा खुदवाकर उसमें दफना दिया था।