चतरा जिले के बमचोमा निवासी जुफरान के 10 साल के बेटे को मामूली बुखार था। उसे दो झोला छाप डॉक्टरों ने टाइयफाइड और मलेरिया बता दिया। इसके बाद इंजेक्शन भी लगा दिया। इससे 10 साल के शाहनवाज की मौत हो गयी। बाद में जब लोगों का गुस्सा उफान पर आया तो दोनों डॉक्टर क्लिनिक छोड़कर भाग गये। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर मामले की जांच शुरू कर दी है। इस बारे में पीड़ित जुफरान ने बताया कि उनके इकलौते बेटे शाहनवाज को कुछ दिनों से मामूली बुखार था। वे टंडवा रोड के सना मेडिकल हॉल में सलाह के लिए पहुंचे थे। वहां दो झोलाछाप डॉक्टर तस्लीम और हकीम से उनकी मुलाकात हुई। दोनों ने बताया कि बच्चे को मलेरिया और टायाफायड भी हो गया है। ये सुनकर जुफरान परेशान हो गये। झोलाछाप डॉक्टर ने उनसे कहकर बच्चे का इलाज करना शुरू कर दिया। बच्चे को उन्होंने कुछ दवा दी और इंजेक्शन लगाया। इसके बाद से शाहनवाज की हालत तेजी से खऱाब होने लगी।
रास्ते में ही बच्चे ने तोड़ा दम
बच्चे की बिगड़ती हालत देखकर दोनों झोलाछाप चिकित्सकों ने बच्चे को रेफरल अस्पताल ले जाने के लिए कहा। वहां के चिकित्सकों ने बच्चे की खराब हालत देखकर उसे हजारीबाग रेफर कर दिया। जुफरान ने किसी तरह वाहन का इंतेजाम किया और बच्चे को हजारीबाग ले जाने के लिए निकल पड़े। लेकिन बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। उस समय जुफरान के साथ उनके परिजन भी थे। सभी वापस सना मेडिकल के पास पहुंचे और बच्चे के शव को वहां रखकर शोर-शराबा शुरू कर दिया। हालात बिगड़ते देख झोलाछाप डॉक्टर क्लिनिक बंद कर वहां से भाग गये। बहरहाल, खबर लिखे जाने तक पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी कर रही है।
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