पलामू। मो. मोजम्मिल रजा मदरसा जियाउल इस्लाम सतबरवा में पढ़ाई करते हैं। लातेहार जिले के मनिका प्रखंड के कुई गांव के रहने वाले इस बच्चे ने सिर्फ 13 साल की उम्र में हाफिजे कुरान बनने का मुकाम हासिल किया है। बुधवार को मोहम्मद मुजम्मिल को सतबरवा मदरसा में सम्मानित किया गया।
बताया गया कि ऐसा कारनामा बहुत कम लोग ही कर पाते हैं। हाफिज ए कुरान बनने का मतलब पूरी कुरान को कंठस्थ याद कर लेना होता है। इस बच्चे का दाखिला सन 2018 में मदरसा जियाउल इस्लाम सतबरवा में हुआ था। मुजम्मिल ने बताया कि हाफिज ए कुरान बनने के बाद अब प्रोफेसर बनने का सपना है। प्रोफेसर बनकर शिक्षा का अलग जागना चाहता हैं।
मौके पर जश्ने मुस्तफा कांफ्रेंस कमिटी ने मुजम्मिल रजा को सम्मानित किया। मौलाना तौफिक आलम मिस्बाही ने कहा कि दीनी शिक्षा कभी भी दुनियावी (स्कूली) शिक्षा के आड़े नहीं आती। बहुत सारे ऐसे बच्चे हैं जो हाफिज ए कुरान बनने के बाद भी डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर और आईएएस बनकर देश की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बच्चे ने कामयाबी के पीछे खुद को अपनी मेहनत तथा मदरसे के आलिम मौलाना तौफीक आलम मिस्बाही, मौलाना सरफराज रहबर तथा मदरसा जियाउल इस्लाम के आलिम ए दीन की टीम को श्रेय दिया है।