झारखंड में शराब कारोबारियों की जमकर मनमानी चल रही है। शराब बेचने के नाम पर मनमाना रकम वसूल रहे हैं। राज्य के लगभग सभी जिलों में प्रिंट एमआरपी पर अवैध वसूली का खेल चल रह है। लेकिन सबसे चौकाने वाली बात यह है की इतने बड़े पैमाने पर वसूली हो रही है। लेकिन दुकानदार से लेकर मंत्रालय तक सब मौन हैं। इससे यह जाहिर होता है की इस वसूली में सब मिले हुए हैं। दरअसल, एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 10 प्रतिशत आबादी अंग्रेजी शराब का सेवन करती है। आंकड़े बताते हैं की राज्य में हर दिन 30 लाख लोग शराब पीते हैं। जिससे शराब बेचने के नाम पर रोजाना 3 करोड़ की वसूली की जाती है। वहीं महीने में 90 करोड़ रूपये की काली कमाई की जाती है।
प्रिंट से 10 रूपये अधिक वसूलते हैं दुकानदार
बता दें कि ग्राहकों से प्रिंट एमआरपी से 10 रूपये अधिक मांगी जाती है। और यह मनमानी राज्य के सभी विदेशी शराब दुकानों में चल रही है। जब ग्राहक प्रिंट से अधिक रेट मांगे जाने का विरोध करते हैं, तब दुकानदार उन्हें शराब नहीं देने की धमकी देते हैं। प्रिंट से अधिक रेट वसूलने को लेकर कभी-कभी दुकनदार और ग्राहकों में झड़प की खबरें भी सामने आती है। हालांकि ग्राहक मजबूरन अतिरिक्त पैसे का भुगतान कर शराब खरीदने का काम करते हैं।
विभागीय आयुक्त से लेकर सचिव सब हैं मौन
वहीं अगर उत्पाद विभाग की बात की जाए तो इस मामले को लेकर विभाग से लेकर प्रशासन सब खामोश हैं। लेकिन प्रिंट रेट के नाम पर अवैध वसूली की जानकारी विभाग से लेकर प्रशासन के सभी अधिकारीयों को इसकी जानकारी है। शराब कारोबारीयों का मनोबल इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि, मौजूदा समय में जो विभाग की मंत्री हैं उन्हें अनुभव की कमी है, जानकारी हो की पूर्व मंत्री स्व. जगरनाथ महतो के निधन के बाद उत्पाद विभाग की ज़िम्मेवारी उनकी पत्नी बेबी देवी सौंपी गई है। इसके अलावा विभागीय आयुक्त से लेकर सचिव तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। जिस वजह से भी अवैध वसूली में कारोबारियों और सिंडिकेट को और बढ़ावा मिलता है। नकली शराब बेचने वालों पर विभाग गिने चुने जगहों पर छापेमारी करने का काम तो करती है, लेकिन प्रिंट रेट से अधिक पैसे वसूलने के इस खेल पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती।
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