– बारामूला ऑपरेशन के बलिदानी मेजर हरमिंदर पाल सिंह को मिला था मरणोपरांत शौर्य चक्र

New Delh: Chennai के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) से Saturday को पास आउट होकर सेना के अधिकारी बने नवतेश्वर सिंह ने अपने परिवार की तीन पीढ़ियों की विरासत को आगे बढ़ाया है. अपने पिता का सपना पूरा करने वाले नवतेश्वर तब सिर्फ 03 महीने के ही थे जब उनके पिता मेजर हरमिंदर पाल सिंह बारामूला ऑपरेशन में देश के लिए बलिदान हो गए थे. उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.

ओटीए से इस बैच में आठ महिलाओं सहित 209 कैडेट्स कमीशन अधिकारी बनने के लिए पास हुए हैं. इनमें मित्र देशों के 12 कैडेट्स भी हैं. सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने बेदाग पासिंग आउट परेड की समीक्षा की और युवा अधिकारियों को राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया. सेनाध्यक्ष जनरल पांडे ने पासिंग आउट परेड में त्रुटिहीन प्रदर्शन के लिए कैडेट्स को सराहा. पिपिंग समारोह के दौरान उन्होंने कैडेट्स और उनके गौरवान्वित परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत की और उन्हें ओटीए Chennai में प्रशिक्षण के सफल समापन पर बधाई दी. सीओएएस ने मित्र देशों के 12 कैडेट्स को उनके संबंधित राष्ट्रीय रक्षा बलों में उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाओं के साथ सम्मानित किया.

ओटीए से प्रशिक्षण पूरा करने वाले नवतेश्वर सिंह ने अपने पिता मेजर हरमिंदर पाल सिंह को तब खो दिया था, जब वह सिर्फ 03 महीने के थे. 18 ग्रेनेडियर्स में तैनात रहे मेजर हरमिंदर पाल सिंह को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. वह Punjab के रोपड़ जिले के मुंडी खरार गांव के रहने वाले थे. हरमिंदर के पिता भी सेना में थे. अपने पिता कैप्टन हरपाल सिंह को देखकर हरमिंदर के मन में बचपन से ही सशस्त्र बलों में शामिल होने का विचार था. उन्होंने स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद अपने सपने को आगे बढ़ाना जारी रखा और मार्च, 1992 में सेना में शामिल हो गए थे.

लगातार उग्रवाद विरोधी अभियानों में लगी हुई मेजर हरमिंदर की यूनिट को अप्रैल 1999 के दौरान जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में तैनात किया गया था. 13 अप्रैल, 99 को आतंकवादियों का बहादुरी से सफाया करने के एक अभियान के दौरान मेजर हरमिंदर वीरगति को प्राप्त हो गए थे.

मेजर हरमिंदर को उनके साहस और सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत वीरता पुरस्कार ‘शौर्य चक्र’ दिया गया. उस समय मेजर के इकलौते बेटे नवतेश्वर सिंह की उम्र महज 3 माह थी. पति के बलिदान होने के बाद मेजर की पत्नी रूपिंदर पाल कौर ने परिवार की सैन्य परंपरा को आगे बढ़ाते हुए बेटे को भी सेना में भेजने का फैसला लिया. आखिरकार यह सपना आज पूरा हो गया, जब नवतेश्वर सिंह ने Chennai के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से अपना प्रशिक्षण पूरा किया. युवा अधिकारी ने परिवार की समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाते हुए उसी यूनिट में कमीशन प्राप्त किया, जहां उनके पिता थे.

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