रांची में 10 जून 2022 को हुई हिंसा मामले पर झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को अपटूडेट स्टेटस रिपोर्ट टेबुलर रूप में हाजिर करने का आदेश जारी किया है। अदालत में बहस के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि मेन रोड फैली हिंसा में पुलिस ने घटना को बड़ी हिंसा में परिवर्तित होने से रोक दिया था। पुलिस ने हिंसक भीड़ पर लाठी चार्ज किया, इसके बाद आंसू गैस का प्रयोग किया। जब हिंसा फैलाने वालों ने पथराव और फायरिंग आरंभ कर दी तो मजिस्ट्रेट के आदेश से पुलिस ने कंट्रोल्ड फायरिंग शुरू की। इससे भीड़ बिखर गयी। इस घटना को लेकर पुलिस ने 47 मुकदमे दर्ज किये। इनमें से कई मुकदमों में चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है। कुछ मुकदमे अभी भी पेंडिंग अवस्था में हैं। इसमें से एक प्राथमिकी जिसमें पुलिस पर फायरिंग का आरोप है उसे सीआईडी की जांच के लिए भेजा गया था। सीआईडी की जांच में भी हिंसक प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी है। और इस दिशा में अनुसंधान चल रहा है। घटना को लेकर पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों का भी अध्ययन करते हुए आरोपियों को चिन्हित किया है, उनकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया जारी है।
सोशल मीडिया को भी खंगाला जा रहा है
वहीं यह भी बताया गया कि घटना को लेकर उस दिन के सोशल मीडिया पोस्ट और फेसबुक, गूगल मैप से भी डाटा प्राप्त करने की कोशिश हो रही है। उपलब्ध डाटा का अध्ययन किया जा रहा है। जिससे अनुसंधान सही तरीके से हो सके। इसलिए इसमें भी किसी दूसरी एजेंसी के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। दूसरी ओर एनआईए के एडवोकेट की ओर से अदालत को बताया गया कि एनआईए सिर्फ शेड्यूल ऑफेंस होने पर ही अनुसंधान करती है। अदालत ने मामले में प्रार्थी एवं प्रतिवादियों को अगली सुनवाई में संक्षिप्त बहस दायर करने का निर्देश दिया है। अब अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी। इसी दिन अदालत अपना आदेश सुनाएगी। मामले में उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई की है।
हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें।