

दृढ़ इच्छाशक्ति और रोजाना एक घंटे अखबार पढ़ने की आदत ने दिलाई कामयाबी
यूपीएससी- सीएसई- 2022 में 41वीं रैंक लाने वाला छात्र ने कहा की किस्मत मायने रखती है, लेकिन कठिन परिश्रम तकदीर को भी मात दे सकता है।
बोकारो। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सर्विस परीक्षा 2022 में अखिल भारतीय स्तर पर 41वीं रैंक पाने वाले डीपीएस के पूर्व छात्र शुभम कुमार (22) का मानना है कि कामयाबी के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता। अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसे पाने की चाहत, दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत के साथ-साथ पढ़ाई में निरंतरता काफी महत्वपूर्ण है। इसी फार्मूले ने उसे पहले प्रयास में ही देश की सर्व-प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा में कामयाबी दिलाई। डीपीएस बोकारो में एक कार्यक्रम के दौरान पहुंचे शुभम ने एक खास बातचीत के दौरान ये बातें कही। उसने अपने विद्यालय के प्राचार्य डॉ. एएस गंगवार से भेंट की। अपने शिक्षकों से मिलकर पुरानी यादें साझा कीं और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। प्राचार्य डॉ. गंगवार ने उसे बधाई देते हुए शॉल से अलंकृत किया और स्मृति-चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। साथ ही, उसे उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं भी दीं। एक सवाल के जवाब में शुभम ने कहा कि किस्मत मायने रखती है, लेकिन कठिन परिश्रम तकदीर को भी मात दे सकता है। अपने गांव बिहार के मधुबनी जिलांतर्गत खुटौना में जब वह छठी कक्षा में पढ़ रहा था, उसी दौरान एक प्रशासनिक अधिकारी उसके विद्यालय में निरीक्षण के लिए पहुंचे थे। उस वक्त उक्त अधिकारी का रुतबा और उसके प्रति सभी का सम्मान वगैरह देखकर वह काफी प्रभावित हुआ। उसी दिन उसने ठान ली कि उसे भी आगे चलकर सिविल सर्विस परीक्षा निकालनी है और एक बड़ा अफसर बनना है। इस उद्देश्य में उसके पिता राजकीय कन्या मध्य विद्यालय, लौकहा के प्रधानाध्यापक दिनेश कुमार एवं माता संध्या (गृहिणी) ने शुरू से ही हर कदम पर उसका हरसंभव सहयोग किया। बड़ी बहन सॉफ्टवेयर इंजीनियर सोनाली ने भी मार्गदर्शन किया। परिजनों और शिक्षकों के सहयोग से शुभम ने अपने लक्ष्य का निरंतर पीछा किया, पूरी लगन के साथ बगैर किसी तनाव के कठिन परिश्रम करते हुए पढ़ाई में निरंतरता जारी रखी और आज परिणाम सबके सामने है। एक सवाल के जवाब में शुभम ने बताया कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए अपने तयशुदा विषयों के गहन अध्ययन के साथ-साथ नियमित कम से कम एक घंटा अखबार पढ़ने की आदत उसके लिए काफी सहायक रही। अखबार का संपादकीय पृष्ठ वह जरूर पढ़ा करता था। हमारे आसपास क्या चल रहा है, देश-दुनिया की क्या स्थिति है, इन सभी चीजों की पूरी जानकारी सिविल सर्विसेज जैसी परीक्षा के लिए काफी अहम है। उसने कहा कि इसके लिए नियमित पढ़ाई और आंसर राइटिंग की आदत भी जरूरी है।
परीक्षा में असफलता से हताश होकर गलत फैसले लेने वाले विद्यार्थियों को अपने संदेश में शुभम ने कहा कि किसी भी परीक्षा में विफल होना जिंदगी की विफलता नहीं है। जिंदगी में कांटे होते हैं। हार को स्वीकार करना चाहिए। पढ़ाई के अलावा भी बाहर की दुनिया है। अपने मन में जो उत्कंठा, जो बातें घुमड़ रही होती हैं, उन्हें अपने दोस्तों और परिजनों से साझा करनी चाहिए। यही तनाव से मुक्ति का माध्यम है। उसने बताया कि इस सिद्धांत को उसने स्वयं अपनी जिंदगी में आजमाया है और बिना किसी दबाव में आकर स्वच्छंद भाव से पढ़ाई की। परीक्षा के दौरान सभी क्रिकेट मैच देखे और आराम से कामयाबी पाई। एक अन्य सवाल के जवाब में शुभम ने कहा कि विद्यार्थी सपना जरूर देखें, लेकिन खुद का आकलन करें। यह मूल्यांकन करिए कि वह सपना पूरा करने में आप सक्षम हैं या नहीं। अपनी क्षमता और अपनी रुचि के अनुसार ही अपने करियर का चयन करें। आप जो कर सकते हैं, उस क्षमता को एक्सप्लोर करें और कड़ी मेहनत व आत्मविश्वास के साथ उसे पाने की लगन बनाए रखें। यकीनन, कामयाबी कदम चूमेगी। बता दें कि शुभम अपने गांव खुटौना ही नहीं, बल्कि उस पूरे प्रखंड का अकेला युवक है, जिसने सिविल सर्विस की परीक्षा में कामयाबी पाई है। उसने बताया कि आज उसकी जिंदगी बदल चुकी है और घर में माता-पिता, रिश्तेदार, इष्टमित्र सहित सभी काफी प्रसन्न हैं। सिविल सर्विस परीक्षा में सफलता के बाद अपने पसंदीदा क्षेत्र के बारे में पूछे जाने पर शुभम ने बताया कि वह भारतीय विदेश सेवा में जाएगा। आगामी 31 जुलाई से उसकी ट्रेनिंग शुरू हो रही है। मसूरी (उत्तराखंड) स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी आफ एडमिनिस्ट्रेशन में तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद क्या वह सुषमा स्वराज इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन सर्विस में ट्रेनिंग लेगा। तत्पश्चात दो महीने तक चीनी भाषा का प्रशिक्षण लेकर वह विदेश सेवा में जाएगा। बता दें कि 10वीं की पढ़ाई पूर्णिया से करने के बाद डीपीएस बोकारो से शुभम ने 12वीं की पढ़ाई 2018 में पूरी की थी। विज्ञान संकाय (पीसीएम) के विद्यार्थी शुभम ने 94% अंक प्राप्त किया था। यहां के बाद हंसराज कॉलेज, दिल्ली में दाखिला लिया, जहां लॉकडाउन लगने के कारण लगभग डेढ़ वर्ष तक ही उसने पढ़ाई कर पाई थी।