सांकेतिक तस्वीर

प्रभात मंत्र (वेब डेस्क) : ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों और ट्रैफिक पुलिस के बीच विवाद आम बात है। जब एमवी एक्ट के नियमों का उल्लंघन करने के बाद चालान काट दिया जाता है, तो वाहन चालकों का हंगामा होता है। कई बार, वाहन चालक झूठी कहानी बनाकर जुर्माना भरने से बचने की कोशिश करते हैं और स्वयं को निर्दोष बताकर ट्रैफिक पुलिसकर्मी पर दोष लगाते हैं। लेकिन अब ट्रैफिक पुलिस से उलझना भारी पड़ सकता है क्योंकि अब पुलिस के पास कैमरा होगा।

झारखंड पुलिस मुख्यालय ने राज्य के ट्रैफिक जिले के लिए 355 बॉडी ऑन कैमरे उपलब्ध कराए हैं। रांची के विभिन्न इलाकों में 118 ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है और उन्हें अत्याधुनिक बॉडी ऑन कैमरे दिए गए हैं। इन कैमरों को वर्दी की जेब पर लगाया जा सकता है और वे कंप्यूटर द्वारा आसानी से संचालित होते हैं।

जब वाहन चालकों द्वारा जुर्माना भरने का विरोध करने के दृश्य को कैमरे से रिकॉर्ड किया जाता है, तो ट्रैफिक पुलिस उसे साक्ष्य के रूप में अपने पास रखती है। इससे बाद में सरकारी काम में बाधा डालने और मारपीट किए जाने से संबंधित थाना में प्राथमिकता दर्ज करने में भी यह प्रमाण के रूप में काम आता है। अभी कैमरा न होने के कारण कई बार वाहन चालक अपनी गलती को स्वीकारने से इनकार करते हैं और ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों को दोषी ठहराते हैं।

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