November 23, 2024

मक़सूद आलम@प्रभात मन्त्र

पाकुड़ : जिस भी व्यक्ति के अंदर संवेदनाएं जीवित है वह व्यक्ति चाहे गरीब हो या अमीर सबकी भावनाओं, दर्द, दुख सभी को समझ लेता है। महत्वपूर्ण बात गरीब अमीर होना नहीं बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि उस व्यक्ति के अंदर कितनी ज्यादा दया भावना मौजूद है। एक गरीब व्यक्ति भी दयाहीन होने पर गरीब का दर्द कभी भी नहीं समझ पाएगा क्योंकि उसकी आत्मा आंतरिक रूप से मर चुकी होती है। उसी प्रकार अमीर होने पर बहुत सारे लोग जिनके अंदर दूसरों के दुख,दर्द को महसूस करने की क्षमता है,जिनकी आत्मा परोपकार और दयाभावना से भरी है वह लोग गरीबों का दर्द ज्यादा अच्छे समझते हैं। एक गरीबी और भुखमरी के मारे हुए जब व्यक्ति अमीर बनता है और वे अपने अतीत को नही भूल पाते है तो वे हैं, पाकुड़ के दानवीर समाजसेवी लुत्फ़ल हक है।

लुत्फ़ल हक ने पश्चिम बंगाल के गाजीनगर स्थित मदरसा फैज़ुल उलूम में रविवार को लगभग एक हजार एक सौ गरीबों के बीच रमजान किट का वितरण किया गया। रमजान किट में चावल,दाल,सरसो तेल,पियाज, आलू,सेवई,साड़ी,लुंगी सहित अन्य सामान दिए गए।हजारों लोग कड़ी धूप में समाजसेवी लुत्फ़ल हक का दीदार करने के लिए खड़े थे। पूरे इलाके में चर्चा आम है कि आखिर गरीबों के मसीहा है कौन है? जो बिना कोई स्वार्थ के गरीबों को अपना साथी बनाया है। लुत्फ़ल हक कहते हैं मेरे पास बोलने के लिए कोई शब्द नही है। क्योंकि मैं आपके तरह एक गरीब इंसान था, दो-दो रोटी के लिए मोहताज था।लेकिन गरीबों की दुआ की वजह से मैं आपलोगों को दान दे रहा हूँ, और अल्लाह अगर चाहे तो आगे भी दान देता रहूंगा।

उन्होंने कहा रमज़ान को देखते हुए जाति धर्म से ऊपर उठकर रमज़ान किट दी जा रही है ताकि आपलोग बेहतर से ईद मनाएं। वे कहते हैं कद ऊंचा तो कर लिया, ऊंचे रखो विचार, दान धर्म जो ना किया, जीवन है बेकार!

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कार्यक्रम में जंगीपुर कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्त रबीउल आलम, फरक्का थाना प्रभारी देवब्रत चक्रवर्ती, शमसेर गंज थाना प्रभारी बिजन रॉय, फरक्का समाजसेवी हाजिकुल आलम, लायन्स क्लब पाकुड़ के अध्यक्ष मंजीत लाल, निर्मल टेबड़ीवाल, पंकज भगत उर्फ बंटी, वरिष्ठ पत्रकार मक़सूद आलम, अली अहसान बापी आदि मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि लुत्फ़ल हक द्वारा फरक्का और समशेरगंज के आधा दर्जन स्थानों में हजारों लोगों के बीच कम्बल, साड़ी, लुंगी, धोती, सूखा राशन सहित काफी समान वितरण कर चुके हैं। यहां तक कि एक ही मंच पर पंडित और मौलवी को बुलाकर सम्मान किया गया।

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