
रांची। झारखंड में डेढ़ साल से लंबित निकाय चुनावमें हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार को 4 महीने में निकाय चुनाव कराने को कहा है। वहीं आज सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव और नगर विकास सचिव कोर्ट में सशरीर उपस्थित हुए। सुनवाई के बाद अदालत ने मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में सशरीर उपस्थित रहने से राहत दी है। अदालत आज प्रार्थी रोशनी खलखो व अन्य की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से उक्त बात कही। सुनवाई के क्रम में अदालत ने एकल पीठ के तीन सप्ताह में चुनाव कराने के आदेश का पालन नहीं होने पर सवाल उठाए। आदेश का पालन नहीं करने के पीछे की वजह पूछे जो पर जवाब देते हुए राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की पात्रता निर्धारण को लेकर जिला स्तर पर ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली गई है। कुछ ही जिलों में ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया बाकी है, जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा। वहीं भारत निर्वाचन आयोग से वोटर लिस्ट भी अबतक नहीं मिल पाया है। जिससे कुछ देरी हो रही है। सुनवाई के क्रम में प्रार्थी ने अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार बिना ट्रिपल टेस्ट कराए भी निकाय चुनाव करा सकती है। ऐसा हो सकता है। प्रार्थी ने कहा कि राज्य सरकार की मंशा चुनाव कराने की नहीं है। पूर्व पार्षद रोशनी खलखो और अरुण झा की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते बीते साल जनवरी में हाईकोर्ट ने तीन हफ्ते के भीतर चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी करने को कहा था। पर यह नहीं हो सका। राज्य के 34 नगर निकायों में चुनाव लंबित है। इनमें से 14 में मई 2020 से ही चुनाव लंबित है। धनबाद, देवघर और चास नगर निगम सहित विश्रामपुर, झुमरी तिलैया, गोमिया और चक्रधरपुर नगर परिषद और कोडरमा, बड़की सरिया, धनवार, हरिहरगंज, बचरा और महगामा नगर पंचायत का कार्यकाल मई 2020 में ही पूरा हो गया है। अन्य 34 नगर निकायों का कार्यकाल भी बीते साल मई में पूरा हो गया।
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