शकील, इबरार और कलाम रशिदी अध्यक्ष की रेस में
परवेज कुरैशी
रांची। भाजपा के सांसद और केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजु द्वारा संशोधन विधेयक 2024 वक्फ निरामन विधेयक पेश करने के बाद मुस्लिम अल्पसंख्यकों में इस विधेयक के प्रति रोष है। संसद में भाजपा का बहुमत नहीं होने से इस विधेयक को एसपीजी के पास भेजा गया ,लेकिन सरकार इसे वापिस लाकर फिर से भेजने का मन बना रही है। इसमें करीब 40 से अधिक संशोधन करने की चर्चा है। इस मामले पर एक सितंबर को वक्फ जयदाद सुरक्षा वक्फ अधिनियम और हमारी जिम्मेदारियां विषय पर चर्चा भी होनी है।
कौन होंगे अध्यक्ष:
नवगठित झारखंड सुन्नी वक्फ बोर्ड में सदस्यों के बीच अब अध्यक्ष की दावेदारी की होड़ मच गई है। 13/8/24 को हज समिति और झारखंड सुन्नी वक्फ बोर्ड दोनों का अधिसूचना अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग झारखंड सरकार द्वारा जारी हुई थी, हज समिति झामुमो के कोटे से , सुन्नी वक्फ बोर्ड कांग्रेस कोटे का बताया। हज समिति विवाद को देखते हुए विलोपित कर दिया गया। अब वक्फ बोर्ड में यही साया मंडरा रहा है। सूत्र का कहना है कि वक्फ बोर्ड कांग्रेस कोटे से है इसलिए शकील अख्तर समाज सेवी के तौर पर मनोनित हैं जबकि वे कांग्रेस से जुड़े हैं इसलिए इनकी दावेदारी अध्यक्ष के लिए हो सकती हैं। मुस्लिम विद्वान के रूप में इबरार अहमद , अधिवक्ता कलाम रशिदी हैं अब देखना है कि इन तीनों में अध्यक्ष कौन होंगे? यदि विवाद बढ़ा तो यह भी विलोपित कर दिया जायेगा।
झारखंड में वक्फ बोर्ड की हालत:
लंबे समय बाद वक्फ अधिनियम 1995 यथा संशोधित अधिनियम 2013 की धारा 14(1) तथा 14(3) के शक्तियों का प्रयोग करते हुए झारखंड राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड में निम्न सदस्यों को नियुक्त किया गया है। डॉक्टर सरफराज अहमद राज्य सभा सांसद , मोहम्मद निजामुद्दीन अंसारी पूर्व विधायक गिरिडीह, कलाम रशिदी अधिवक्ता राज्य काउंसिल, महबूब आलम अंसारी मुताव्वली , मोहम्मद फैज़ी मुतव्वली वक्फ संपत्ति, इबरार अहमद सुन्नी मुस्लिम विद्वान , शिया मुस्लिम विद्वान, शकील अख्तर समाजसेवी और आसिफ हसन संयुक्त सचिव कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग को मनोनीत किया गया है।
वक्फ की संपत्ति :
पूर्व रिकॉर्ड के मुताबिक झारखंड में करीब 206 वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताई जाती है, कुछ मदरसा, ईदगाह , कब्रिस्तान, अस्पताल, स्कूल,कालेज इत्यादि हैं। कुछ जानकार बताते हैं कि वक्फ की कुछ संपत्तियों का कुछ जानकारों ने गलत तरीके से ट्रस्ट बना लिए हैं, इसकी भी जांच होनी चाहिए। साथ ही वक्फ संपत्ति के रख रखाव, अकाउंट ऑडिट, अवैध कब्जा,विवाद, सर्वे, रजिस्ट्रर्ड कराने के अलावा बकाया किरायेदारों जैसे कई और समस्याएं हैं। करोड़ों राशि की वक्फ संपत्ति बावजूद मुसलमानों की हालत बदतर है।
वक्फ के बारे में :
1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार के समय वक्फ एक्ट 1954) पास किया गया, जिसका मकसद वक्फ से जुड़े कामकाज को सरल बनाना और तमाम प्रावधान करना था। प्रावधानों के मुताबिक साल 1964 में अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन हुआ। साल 1995 में वक्फ एक्ट में बदलाव भी किया गया और हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई।
वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति:
वक्फ बोर्ड जमीन के मामले में रेलवे और कैथोलिक चर्च के बाद तीसरे नंबर पर है। पूर्व आंकड़ों के मुताबिक वक्फ बोर्ड के पास 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है। 2009 में यह जमीन 4 लाख एकड़ हुआ करती थी, जो कुछ सालों में बढ़कर दोगुनी हो गई है। इन जमीनों में ज्यादातर मस्जिद, मदरसा, ईदगाह,कब्रगाह आदि हैं। दिसंबर 2022 तक वक्फ बोर्ड के पास करीब 8,65,644 अचल संपत्तियां थीं।वक्फ बोर्ड को ज्यादातर संपत्तियां मुस्लिम शासनकाल में मिलीं। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर विवाद नया नहीं हैं। अंग्रेजों के जमाने से लड़ाई चलती आ रही है। यह लंदन स्थित प्रिवी काउंसिल तक पहुंचा। इसके बाद ब्रिटेन में चार जजों की बेंच बैठी और वक्फ को अवैध करार दे दिया। हालांकि इस फैसले को ब्रिटिश भारत की सरकार ने नहीं माना। मुसलमान वक्फ वैलिडेटिंग एक्ट 1913 लाकर वक्फ बोर्ड को बचा लिया।वक्फ एक्ट के सेक्शन 85 में कहा गया है कि बोर्ड के फैसले को सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती।
क्या कहते हैं सदस्य:
अधिवक्ता कलाम रशीदी कहते हैं कि वक्फ की संपत्ति की जानकारी और इसके रखरखाव संबंधित कानूनी प्रक्रिया है, इसलिए कानून के जानकार को अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। मुस्लिम विद्वान और अंजुमन इस्लामिया के पूर्व अध्यक्ष इबरार अहमद का कहना कि मेरे पास पूरा समय है, और वक्फ की संपत्ति को बचाने के लिए समय देना बहुत जरुरी है, मुझे इसकी जानकारी भी है। कांग्रेस नेता शकील अख्तर ने कहा कि मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता। क्योंकि यह कांग्रेस कोटे से है, बाकी सभी सदस्यों की राय जरुरी है। शिक्षा समुदाय के विद्वान मौलाना तहजीबुल हसन ने कहा कि अध्यक्ष जो भी हो वक्फ बोर्ड को चलाने वाला हो और उनके पास समय और जानकारी हो।