रांचीः 
हजारीबाग में पुलिस एकेडमी में बेसिक ट्रेनिंग प्राप्त 39 प्रशिक्षु डीएसपी को जिला आवंटित कर दिया गया है। इन नव नियुक्ति अधिकारियों ने 7वीं-10वी जेपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की थी। मंगलवार को हजारीबाग में मुख्यमंत्री ने 39 प्रशिक्षु पुलिस उपाधीक्षकों संबोधित किया। उन 39 डीएसपी में एक ऐसी भी डीएसपी भी थीं जिन्होंने अपने भारी भरकम सैलरी पैकेज को छोड़कर पुलिसिंग क्षेत्र का चुनाव किया। नाम है अर्चना स्मृति खलखो। अर्चना को कल जब अवार्ड से सम्मानित किया गया तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे। वह कहने लगीं, मुझे बहुत खुशी हो रही है। काफी संघर्ष वाला ये साल रहा। लेकिन ट्रेनिंग में मजा आया। बता दें कि कल के समारोह में अर्चना को सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु: (ओवरऑल), सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु:  अंतः विषय, सर्वश्रेष्ठ शूटर: का अवार्ड दिया गया है। 

6 साल तक आईटी कंपनी में काम किया 
अर्चना ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि पहले मैंने बीआईटी से इंजीनियरिंग की। फिर इनफोसिस में 6 साल तक जॉब किया। उसके बाद फिर बीआईटी आ गई एमटेक करने के लिए। लेकिन बाद में लगा कि मुझे सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि आपके आने से क्या कुछ बदलाव की उम्मीद की जा सकती है तो उन्होंने कहा पुलिस के सामने आने से महिलाएं डरती है लेकिन मैं यह विश्वस दिलाना चाहूंगी कि मैं जहां भी रहूंगी वहां महिलाओं को हिचकिचाने की जरूरत नहीं हो। मेरे होने से महिलाओं में हिचकिचाहट कम रहेगी। परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं को उन्होंने सलाह दिया कि हर दिन पढ़ते रहिए। नई चीजें पढ़ने से ज्यादा पुरानी चीजों को रिविजन करते रहिए। अर्चना के एक और खास बात यह है कि उनके भाई एसडीएम हैं। 

भाई भी हैं एसडीम 
अर्चना के भाई जो एसडीएम हैं जिनका नाम विशालदीप खलखो है वह कहते हैं कि मुझे गर्व है अर्चना ने ये मुकाम हासिल किया। वह काफी ब्राइट स्टूडेंड थी। मैं खुद 2008 बैच का प्रशासनिक अधिकारी हूं। इस वक्त में गिरिडीह सदर में पदस्थापित हूं। अपनी बहने के बारे में उन्होंने कहा कि ना सिर्फ स्कूल, कॉलेज। बल्कि उसके निजी जीवन में भी काफी उतार चढ़ाव हुआ है। आज यह पूरे परिवार के लिए काफी गर्व की बात है। मेरी बहन शुरू से स्पष्ट थी कि उसे पुलिस सेवा में ही जाना था। हम हर परिस्थिति में काम करने के लिए तैयार हैं क्योंकि हमारी जड़े मजबूत है। अर्चना की मां डॉक्टर प्रीति लता ने कहा कि मेरी बेटी को अवार्ड  मिलना मतलब हमें ही मिला है। हमारी शुरू से यही इच्छा रही है कि मेरे बच्चे जो चाहते हैं वह वही करे। हम मनोबल हमेशा से ही अपने बच्चों का बढ़ाते हैं। मैं डॉक्टर हूं। हमारे परिवार से यह पहली लड़की है जो पुलिस लाइन में है। आगे के लिए मैं अपनी बेटी को शुभकामनाएं दूंगी। । 

हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें।

https://chat.whatsapp.com/JFw1xz8Rrz33p6cdtYJXaT

सार- दी फॉलोअप

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *