नई दिल्ली में वामपंथ उग्रवाद पर आयोजित चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को झारखंड में उग्रवाद के खिलाफ जारी अभियान और उसकी प्रगति की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से जारी नक्सलरोधी अभियान में जनवरी 2022 से 2023 में अब तक 732 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं। गिरफ्तार नक्सलियों में कई शीर्ष नेता शामिल हैं।

गिरफ्तार और मारे गए नक्सलियों का आंकड़ा
मुख्यमंत्री ने बताया कि गिरफ्तार माओवादियों में स्पेशल एरिया कमिटी के 3, रीजनल कमिटी के 1 सदस्य, 10 जोनल कमांडर, 16 सब-जोनल कमांडर और 25 एरिया कमांडर शामिल हैं। सीएम ने गृहमंत्री को बताया कि इसी दौरान 20 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया। मारे गए नक्सलियों में स्पेशल एरिया कमिटी के 2 उग्रवादी शामिल हैं। इसके अलावा 4 सब जोनल कमांडर और 1 एरिया कमांडर सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए। उन्होंने बताया कि इसी अवधि में 37 माओवादियों में नई दिशा-एक नई पहल नीति के तहत आत्मसमर्पण किया है। स्पेशल एरिया कमिटी के 1, रीजनल कमिटी के 2 मेंबर्स ने सरेंडर किया वहीं 4 जोनल कमांडर, 9 सब जोनल कमांडर और 10 एरिया कमांडर ने भी सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण किया।

डेढ़ साल में 1160 आईडी और 76 हथियार बरामद
सीएम हेमंत ने बताया कि नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सुरक्षाबल के जवानों ने 1160 आईडी बम और 76 अन्य हथियार बरामद किए हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि सीधी लड़ाई और सरेंडर पॉलिसी के इतर सामुदायिक पुलिसिंग के जरिए भी उग्रवाद के खिलाफ जंग जारी है। दुर्गम इलाकों में ग्रामीणों से संवाद के जरिए उनका विश्वास जीतने का प्रयास किया जा रहा है। वामपंथी उग्रवादियों का असली चेहरा ग्रामीणों के समक्ष लाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि नक्सल प्रभावित इलाकों में कनेक्टिविटी भी बढ़ाई जा रही है। केंद्र सरकार द्वारा आरआरआर और आरसीपीएलडब्लूईए जैसी योजनाएं रोड कनेक्टिविटी के लिए संचालित हैं। अति नक्सल प्रभावित चाईबासा में डीएमएफटी की राशि से सड़क निर्माण किया जाना है। 

हेलिकॉप्टर के इस्तेमाल में यह राशि खर्च होनी चाहिए
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार के सामने मांग रखी है कि नक्सल विरोधी अभियान के दौरान हेलिकॉप्टर के इस्तेमाल में एसआरई मद से राशि खर्च किया जाए। यह भी कहा कि इसमें गृह मंत्रालय और केंद्र की अधिकार प्राप्त समिति से पूर्व अनुमोदन की अनिवार्यता भी खत्म की जानी चाहिए।

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