आज विनोबा भावे विश्वविद्यालय में जो वाक्या हुआ उससे सबके मन में एक सवाल जरूर पनप गया है कि प्रबंधन की ओर से जानबूझकर ऐसा किया गया होगा या उनसे कोई गलती हो गई है। दरअसल विश्वविद्यालय का आज 38वां स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन पहुंचे थे। सामारोह में कई जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया था। उनके बैठने का कोई इंतजाम नहीं किया गया। समारोह में जब हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल पहुंचे तो उन्होंने अपना कोई निर्धारित बैठने का स्थान नहीं देख एक कोने में जाकर बैठ गए। तब राज्यपाल ने उन्हें मंच पर लाने का निर्देश दिया फिर विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा उन्हें मंच पर बैठाया गया। इतना ही नहीं इसके बाद सम्मानित करने में भी कोताई बरती गई। मंच पर आयोजक समिति ने सीधे राज्यपाल का सम्मान कर दिया गया। जब इसका एहसास राज्यपाल को हुआ तो उन्होंने खुद अपना सम्मान विधायक मनीष जायसवाल को भेंट कर दिया। 

जनप्रतिनिधियों के सम्मान में कमी नहीं होनी चाहिए 
इसके बाद मंच से अपने संबोधन में उन्होंने चुने हुए जनप्रतिनिधियों के सम्मान का शिष्टाचार पाठ विश्वविद्यालय प्रबंधन को बखूबी पढ़ाया और किसी भी कार्यक्रम में प्रोटोकॉल का ध्यान रखने की सीख दी । सामारोह में विधायक मनीष जायसवाल के अलावे हजारीबाग के पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता भी पहुंचे थे। उनके लिए भी पूर्व से कोई निर्धारित स्थल नहीं था। जबकि विनोबा भावे विश्वविद्यालय के स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा है। अब देखना यह है की आने वाले भविष्य में विश्वविद्यालय प्रबंधन इसका ध्यान रखता है या नहीं। 

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