झारखंड हाईकोर्ट ने सहायक आचार्य नियुक्ति परीक्षा पर रोक लगा दी है। मंगलवार को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने जेएसएससी को झटका देते हुए सहायक आचार्य नियुक्ति विज्ञापन पर रोक लगाने का ऐलान किया। मामला 50 फीसदी आरक्षण मामले से जुड़ा है। दरअसल, झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया था कि वर्ष 2023 की नियमावली के तहत बीआरपी और सीआरपी संविदाकर्मियों को टीचर भर्ती प्रक्रिया में 50 फीसदी आरक्षण से वंचित किया गया है। कोर्ट ने इस मामले में झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने जेएसएसी को मामले में 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। बता दें कि कुल 26000 पदों पर नियुक्ति होनी थी।

बीआरपी-सीआरपी को आरक्षण का मामला
बता दें कि सहायक आचार्य नियुक्ति में सीआरपी-बीआरपी संविदाकर्मियों को 50 फीसदी आरक्षण के लाभ से वंचित किए जाने को लेकर बहादुर महतो एवं अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की खंडपीठ में हुई है। पार्थी की ओर से अमित कुमार तिवारी ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि सहायक आचार्य नियुक्ति नियमावली-2022 में शिक्षा विभाग में कार्यरत संविदाकर्मियों को 50 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया गया था लेकिन नियुक्ति नियमावली-2023 में इन्हें आरक्षण से वंचित किया गया। 

टेट और सीटेट को लेकर भी फंसा है पेंच
गौरतलब है कि नई नियुक्ति नियमावली में राज्य के सरकारी स्कूलों में कार्यरत पारा शिक्षकों को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया है। पार्थी की मांग है कि शिक्षा विभाग में कार्यरत संविदाकर्मियों को भी पूर्व की भांति इसका लाभ मिले। गौरतलब है कि वर्ष 2016 से टेट की परीक्षा आयोजित किए बिना शिक्षक नियुक्ति का विज्ञापन जारी करने और सीटेट को मान्यता नहीं देने को लेकर भी विवाद है। 

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