फोटो

-इस रेलगाड़ी में सवार प. बंगाल के चाचा-भतीजा ने सुनाई खौफनाक कहानी, बोले- डिब्बे का दरवाजा न बंद होता तो हम नहीं बचते

कोलकाता : ओडिसा के बालेश्वर जिले में दुर्घटनाग्रस्त हावड़ा के शालीमार से चेन्नई (Chennai) जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार प्रशांत मंडल और कृष्ण पद मंडल (चाचा-भतीजा) सौभाग्यशाली हैं. वो सकुशल हैं. वह पश्चिम बंगाल (West Bengal) के कैनिंग के रहने वाले हैं. दोनों जैसे-तैसे अपने घर पहुंच चुके हैं. वह शनिवार (Saturday) सुबह खौफनाक मंजर को बयां करते हुए सिहर जाते हैं. प्रशांत मंडल ने कहा- ‘ट्रेन बालेश्वर स्टेशन पर पहुंची तो कुछ लोग नीचे उतरे. कुछ ने बोतल में पानी भरा और खाना आदि खरीदा. इसके बाद ट्रेन रवाना हुई. कई लोग दरवाजे पर खड़े थे. बाहर से गर्म हवा आ रही थी. इसलिए दरवाजा बंद कर दिया गया. इसके चंद मिनट बाद तेज आवाज के साथ डिब्बे पटरी से उतर कर पलट गए. इसकी भनक लगते ही लोगों के होश उड़ गए. अगर हमारे डिब्बे का दरवाजा बंद नहीं हुआ होता तो हम भी जिंदा नहीं बचते. ट्रेन जब पलटी तो हम लोग दरवाजे पर टिक गए थे और जान बच गई.’ वह कहते हैं-‘जिस बोगी में हम लोग थे, उसमें कम से कम 100 से अधिक लोग थे. हमारे पास एक महिला बैठी थी. इसके सिर में इतनी तेज चोट लगी कि खून की धार बह निकली. उसने वहीं दम तोड़ दिया. एक बच्ची की गर्दन में लोहे का टुकड़ा घुस गया. उसने भी वहीं दम तोड़ दिया था. चंद मिनट पहले हंसते-खेलते- बोलते बतियाते लोग औंधे मुंह गिरे हुए मरे पड़े थे. यह नजारा डराने वाला था.’ कृष्ण पद उम्र में छोटा है और चाचा के साथ काम करने के लिए ओडिशा जा रहा था. वह कहता है-‘हम लोग जैसे-तैसे बच कर बाहर निकले. बाहर शवों का ढेर लगा था. कोई ट्रेन के डिब्बे में दबा था. किसी का पैर फंसा था. कोई दर्द से कराह रहा था. किसी का हाथ दब गया था. किसी की आधी गर्दन और आधा शरीर छटपटा रहा था. यह नजारा किसी डरावनी फिल्म से भी ज्यादा भयावह था.’

हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें।

https://chat.whatsapp.com/JFw1xz8Rrz33p6cdtYJXaT

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *