November 24, 2024
  • सिल्ली के महतो बरादरी ने कहा : कोइरी-कुरमी विरोधी हैं सुदेश महतो
  • महिलाओं ने कहा : सुदेश को इस बार हर हाल में सीखाएंगे सबक
  • मदरसा बोर्ड, उर्दू शिक्षकों की बहाली और मॉब लिंचिंग पर सुदेश की चुप्पी से मुसलमान में भी भारी आक्रोश

रांची। झारखंड की राजनीति में लंबे समय तक सत्ता का मलाई चाटने वालों में आजसू सुप्रियो सुदेश महतो का भी नाम शामिल है। आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो 2000 से लेकर 2014 तक विधायक रहे। इस बीच भाजपा सरकार में वे उपमुख्यमंत्री भी रहे हैं। सुदेश लगातार भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने में अपनी सहभागिता निभाई है। लेकिन 2014 में वे झामुमो के उम्मीदवार अमीत महतो से बुरी तरह से चुनाव हार गए। इतना ही नहीं इसके बाद अमित महतो की एक केस के मामले में विधायकी चली गई। इसके बाद उपचुनाव हुआ और अमित महतो की पत्नी सीमा महतो चुनाव लड़ी। उसने भी सुदेश महतो को बुरी तरह से हरा कर सत्ता से बाहर कर दिया। इसके बाद आजसू, भाजपा से भी किनारे-किनारे चलने लगी। लेकिन 2019 में सुदेश महतो करीब 20 हजार मतों से चुनाव जीते। अभी वे भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार वे 10 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। वर्तमान में सिल्ली की जनता सुदेश महतो को पसंद नहीं कर रही है। खास कर महिलाओं में उनके प्रति काफी आक्रोश है। यहां की महिलाओं का कहना है कि सुदेश महतो अपने घोषणा पत्र में 2500 रुपया देने की बात कह रहे हैं। जबकि वे लंबे समय तक भाजपा के साथ सरकार में रहे, कांग्रेस समर्थन मधुकोड़ा की सरकार में आजसू का भी साथ था, चंद्रप्रकाश चौधरी शामिल थे। इस पूरे कार्यकाल में आजसू सरकार में रहा। लेकिन उन्होंने कोई भी योजना ऐसी नहीं चलाई जिससे गरीब महिलाओं व युवाओं को लाभ मिल सके। उनकी ज़रूरतें पूरी हो सके। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को देखकर न सिर्फ 2500 रुपया देने की घोषणा कर रहे हैं, बल्कि सरना धर्म कोड का समर्थन कर रहे हैं और 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को आजसू अंतिम सर्वे के तहत लागू करने का भी अपने घोषणा पत्र में लाया है। लेकिन महतो जो खुद को कुरमी व कुडमी समझ रही है और खुद को एसटी में शामिल कराने के लिए लंबे समय से मांग कर रहे हैं। सुदेश महतो के इस घोषणा पत्र में कुरमी/कुडमी को लेकर कोई भी विचार या चर्चा नहीं की गई है। जिससे झारखंड के महतो समुदाय में काफी रोष है और जयराम टैगोर भी इसको लेकर सुदेश को खरी खोटी सुना चुके हैं। इतना ही नहीं सुदेश तो अपना पार्टी को परिवार की पार्टी बना दिया है। चंद्र प्रकाश चौधरी गिरीडीह से
सांसद हैं। वहीं चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी रामगढ़ से चुनाव लड़ रही है। चंद्रप्रकाश चौधरी के रिश्तेदार रोशनलाल चौधरी भाजपा के बडकागांव से उम्मीदवार हैं। भाजपा के सांठगाठ में चलने वाली आजसू तो मुसलमान को भी बरगला रही है। अजहर इस्लाम को पाकुड़ से उम्मीदवार तो बना दिया है। इस मामले में मुसलमानों के मन में एक नहीं कई सवाल उठने लगे हैं कि आजसू सन् 2000 से लेकर 2014 तक भाजपा के साथ रही। इस बीच उन्होंने मदरसा बोर्ड, उर्दू शिक्षकों की बहाली को लेकर ना तो उचित कदम उठाया और न ही इनकी घोषणा पत्र में कोई चर्चा है। इतना ही नहीं मॉब लिंचिंग जैसे गंभीर मामले पर भी सुदेश चुप्पी साधे हुए हैं। ओबीसी आरक्षण को लेकर भी उनके घोषणा पत्र में बहुत बड़ा अभियान के तहत शामिल नहीं किया गया है। इतना ही नहीं जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरना धर्म, 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति, ओबीसी को 27% आरक्षण मामले को विधानसभा से पारित करा कर राज्यपाल के पास भेजी तो इस पर भी आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो और गोमिया के विधायक लंबोदर महतो भी चुप्पी साधे रहे। अब जब 2024 में विधानसभा चुनाव हो रहा है तो गोल-मटोल बातें करके जनता को बहकने के काम कर रहे हैं। लेकिन जनता सजग है और जागरूक है। क्योंकि सिल्ली और इसके आसपास के जो गांव है वहां पर सुदेश महतो का प्रभाव कम हो गया है।

महिलाओं ने कहा:

महिलाओं का कहना है की सुदेश महतो को हम लोग शुरू से जीताते आए हैं, लेकिन वे सिल्ली गांव को दिल्ली बना देने की बात करते हैं जरा गांव के मुख्यमार्ग छोड़कर अंदर गांव चले जाइये सुदेश का सच सच सामने आयेगा, सुदेश दिल्ली से लेकर विदेश तक घूम चुके हैं। लेकिन सिल्ली को माॅडल और सुंदर और रोजगार देना वाला गांव नहीं बना सके । इसी सोचकर हम लोगों ने 2014 में अमित महतो को चुनाव जिताये थे , लेकिन सुदेश महतो भाजपा के साथ मिलकर उसे जेल भिजवाने का काम किया। उसकी विधायक की खत्म कराने की कोशिश की और फिर अमित महतो की पत्नी सीमा महतो चुनाव लड़ी तो पूरा सिल्ली उसे मदद किया और फिर उसकी पत्नी विधायक बनी। 2019 में फिर सुदेश महतो विधायक बने। अब हम लोग सोच लिए हैं कि यह सिर्फ अपने लिए और अपने परिवार के लिए ही पार्टी को बनाए रखा है । इसके लिए दूसरा कोई विकल्प नहीं है। इसलिए हम लोग का एक ही विकल्प है अमित महतो। वहीं कुछ महिलाएं तो यह भी कहती हैं कि वह जेएलकेएम जयराम महतो की पार्टी से उम्मीदवार देवेंद्र महतो को भी सपोर्ट करेंगे। कुछ लोग कहते हैं कि देवेंद्र और अमित महतो के टक्कर में सुदेश महतो को लाभ पहुंच सकता है, तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि ऐसा संभव नहीं है। कम से कम 30000 वोटों से सुदेश महतो चुनाव हारने जा रहे हैं। एक महिला कहती हैं मेरा नाम सुनिता देवी है खुलकर लीखये भैया, हमारा गांव हाथियों से प्रभावित हैं, सुदेश को जो करना था वह भी नहीं किए। ज्यादा समय सिल्ली नहीं रांची में देते हैं मिलने जाओ तो घंटों इंतेज़ार कराते हैं। इतना ही नहीं नेशनल गेम घोटाला में भी इनका नाम है इसलिए डरे भाजपा के साथ रहता है।

देवशरण भगत ने साधी चुप्पी

इस संबंध में आजसू के प्रवक्ता देवशरण भगत से संपर्क किया गया लेकिन वे इस मुद्दे पर कुछ बोलने से इंकार कर दिए।

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