झारखंड में अपराध अपने चरम पर है। हर दिन हत्या, लूट, दुष्कर्म जैसी घटनाएं हो रही है। पुलिस प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद भी अपराधिक घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। डीजीपी हर महीने सभी जिले के एसपी के साथ अपराध नियंत्रण की समीक्षा बैठक कर रहे हैं। जबकि झारखंड में हर माह 150 लोगों की हत्याएं हो रही है। 140 रेप और 12 लूट रही है। पिछले 8 महीने का रिकॉर्ड देखें तो अलग-अलग जिलों में 1196 हत्या, 1097 दुष्कर्म, 348 लूट, 21 अपहरण और 77 डकैती हो चुकी है। कारोबारी वर्ग के लोग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

कारोबारी वर्ग को किया जा रहा टारगेट 
आए दिन कारोबारियों की हत्याएं हो रही है। या फिर उन्हें लेवी के लिए डराया जा रहा है। पिछले कुछ महीनों की बात करें तो कोयला और अन्य कारोबार से जुड़े लोगों से लेवी वसूली की कई घटनाएं सामने आयी है। लेवी नहीं देने पर कई हत्या भी कर दी गयी। इसके अलावा कई बार गोलीबारी की घटनाओं को भी अंजाम दिया। धनबाद जिले की हालत तो और भी खराब है। धनबाद में जब कोई कारोबारी सुबह घर से निकलता है तो इसकी गारंटी नहीं होती है कि वह वापस लौटेगा ही। झारखंड में सक्रिय संगठित आपराधिक गिरोह में बिहार, छत्तीसगढ़ और बंगाल के 28 अपराधी अहम भूमिका निभा रहे हैं। ये सभी अपराधी अखिलेश सिंह, अमन साहू, अमन सिंह, प्रिंस खान, अमन श्रीवास्तव और भोला पांडेय गिरोह से जुड़े हुए हैं। 

महिलाओं को सुरक्षा देने में फेल है पुलिस 
दुष्कर्म के मामले में भी झारखंड पीछे नहीं है। हर दिन ना जाने कितनी ही महिलाओं की असमत लूटी जा रही है। महिलाओं में दहशत है। बहू-बेटियों को सुरक्षा देने में कानून व्यवस्था पूरी तरह फेल साबित हो रही है। हर महीने 140 रेप हो रहे हैं। इसी तरह लूट और छिनतई में भी राज्य के अपराधियों का प्रदर्शन कुछ कम नहीं है। कहीं भी किसी से भी राह चलते छिनतई की घटना घट जाती है। रुपयों से भरा बैग लूट लिया जाता है। घरों में घुसकर चोरियों की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है।  ऐसे में आप राज्य की विधि व्यवस्था को लेकर यह कह सकते हैं कि पुलिस, क्राइम कंट्रोल करने में पूरी तरह विफल साबित हो रही है। 

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