
रांची । झारखंड में डेयरी उद्योग की असीम संभावनाएं हैं. जिसके कारण राज्य सरकार जहां दुग्ध उत्पादक किसानों को 2 रुपये के स्थान पर 5 रुपये बोनस देकर इसे प्रोत्साहित कर रही है. वहीं नये-नये मिल्क प्लांट की स्थापना कर राज्य के किसानों को सुविधा देने में जुटी है. इसी के तहत आज 6 जून को राज्य का पहला मिल्क पाउडर प्लांट की स्थापना राजधानी रांची के होटवार में की गई. कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की की मौजूदगी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी आधारशिला रखी. करीब 80 करोड़ की लागत से बनने वाला यह मेधा मिल्क पाउडर प्लांट 18 महीनों में बनकर तैयार हो जाएगा. इस प्लांट के बन जाने से सरप्लस दूध होने पर मिल्क पाउडर बनाने के लिए झारखंड को आसाम और छत्तीसगढ़ पर आश्रित रहना पड़ता था. जिसमें जोखिम बना रहता था अब वो खत्म हो जाएगी और राज्य आत्मनिर्भर हो जाएगा. कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने खुशी जताते हुए कहा कि इस प्लांट से प्रतिदिन 20 मैट्रिक टन मिल्क पाउडर का उत्पादन होगा. राज्य का पहला मिल्क पाउडर प्लांट का आधारशिला रखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किसानों को संबोधित किया. सीएम ने कहा कि जय जवान जय किसान इतना ताकतवर नारा है कि यदि सही में समझ पाए और इसके साथ जुड़ जाए तो इससे अच्छा आज के दिनों में कुछ भी नहीं है. खेती-बाड़ी और पशु पालन में फायदा ही फायदा है अन्य उद्योगों से कोई ना कोई नुकसान होता है लेकिन खेती-बाड़ी की ऐसी व्यवस्था है जिसमें ना तो पर्यावरण का नुकसान और ना ही आर्थिक नुकसान. मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब गांव में जानवरों की इतनी संख्या होती थी कि लोग घर से नहीं निकाल पाते थे मगर आज स्थिति विपरीत है जानवरों की संख्या में काफी कमी आई है जिसके कारण कुपोषण जैसी बीमारी से राज्य की महिलाएं जूझ रही हैं. किसानों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि महंगाई के दौर में किस हो तो सहित हो रहे हैं मगर इसके लिए आपको चिंता नहीं करनी है सरकार आपके साथ है राज सरकार दें आपको स्वप्नामी बनाने के लिए लगातार योजनाएं बना रही है. पहले जानवर के बीमार होकर मौत हो जाने पर किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था लेकिन अब राज्य सरकार जो जानवर आपको देगी वह बीमा किया हुआ रहेगा. राज्य में 60 लाख लीटर प्रतिदिन दूध उत्पादन है जिसमें से मेधा डेयरी के द्वारा 2.50 लाख लीटर उठाव होता है. ऐसे में मुख्यमंत्री ने राज्य में दूध संग्रहण केंद्र बढ़ाने का संकेत देते हुए कहा कि यदि दूध उत्पादन की यही रफ्तार बनी रही तो झारखंड अगले पांच वर्षों में आत्मनिर्भर हो जाएगा।
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