झारखंड के सबसे लंबे पुल के नामकरण को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गयी है। जेएमएम और भाजपा, दोनों ने एक दूसरे पर पलटवार किया है। बता दें कि ये पुल दुमका में मयूराक्षी नदी पर बना है। इसका उद्घाटन कल यानी 30 अक्टूबर को ही सीएम हेमंत सोरेन ने किया है। सीएम ने कल ही संकेत दिया था कि इसका नाम दिशोम गुरु शिबू सोरेन सेतु होना चाहिये। वहीं, इस पर पलटवार करते हुए बीजेपी ने कहा है कि पुल का नामकरण तिलका मांझी के नाम पर होना चाहिये। इस पर जेएमएम प्रवक्ता बाबुल सुप्रियो ने कहा है कि बीजेपी जब सत्ता में रहती है तो आदिवासी महापुरुषों के नाम भूल जाती है। विपक्ष में आते ही उनको झारखंड के आदिवासी संस्कृति और महापुरुषों के नाम याद आने लगते हैं।

बीजेपी का दावा – पुल रघुवर सरकार की देन है  
दूसरी ओऱ बीजेपी ने दावा किया है कि इस पुल का प्रस्ताव रघुवर दास के मुख्यमंत्री रहते ही पारित किया गया था। ये उनकी पूर्व सरकार की देन है। इस बाबत बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने आज प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए राज्य सरकार से मांग की कि मयूराक्षी नदी पर बने पुल का नाम स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम योद्धा में एक बाबा तिलका मांझी के नाम पर हो। प्रतुल ने कहा कि ऐसा करना ना सिर्फ पूरे संथाल परगना, झारखंड बल्कि देश के लिए गौरव का विषय होगा। प्रतुल ने कहा कि बाबा तिलका मांझी ने 1784 ई में ही आजादी का झंडा बुलंद किया था और तत्कालीन ब्रिटिश कमिश्नर अगस्तस क्लेवलैंड की गुलेल और तीर से मारकर हत्या कर उलगुलान की शुरुआत की थी। 

2017 में हुआ था पुल का टेंडर 

प्रतुल ने कहा कि मयूराक्षी नदी पर बने पुल का टेंडर 1 सितंबर, 2017 को हुआ था और संवेदक ने 12 फरवरी 2018 को काम शुरू भी कर दिया था। कहा कि मुख्यमंत्री का कार्यकाल देखते-देखते भाजपा के कार्यकाल की योजनाओं का ही उद्घाटन करते-करते समाप्त हो जाएगा। प्रेस वार्ता में प्रदेश मीडिया सह प्रभारी अशोक बड़ाइक, प्रदेश अनुसूचित जनजाति मोर्चा के महामंत्री बिंदेश्वर उरांव, मंत्री रोशनी खलखो उपस्थित थे।  

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