November 21, 2024

मदन मोहन सोनी – आगरा

हमास और इजरायल की जंग के बीच कतर से हर भारतीय को चिंता में डालने वाली खबर आई है। कतर की एक अदालत ने भारतीय नौसेना के 08 पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुना दी है।

हर भारतीय इस सजा पर हैरान हैं। भारत सरकार क्या कदम उठा रही है, अभी कुछ सामने आया नहीं है। यह भी सवाल आ रहा है कि इजरायल हमास की जंग में भारत द्वारा इजरायल के समर्थन की वजह से कतर ने कहीं बदले की भावना से तो ऐसा नहीं किया! इन भारतीय अफसरों को पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से हिरासत में रखा गया था।

अब सवाल यह पैदा होता है कि ये मामला इतना बड़ा है और भारतीय मीडिया में चुप्पी का माहौल है। भारतीय मीडिया इस विषय पर खबर दिखाने से कतरा रहा है। हर छोटे बड़े मुद्दे पर डिबेट के नाम पर मुर्गा लड़ाने का खेल अलग अलग न्यूज चैनलों पर चलता रहता है। 08 भारतीय सैन्य अधिकारियों को फांसी की सजा सुना दी गई। इससे बड़ा गंभीर और संवेदनशील मुद्दा क्या हो सकता है ! मीडिया में कोई डिबेट नहीं।

मीडिया को इस खबर में रुचि क्यों नहीं ?
भारतीय मीडिया इतने गंभीर मसले पर खामोश है। क्या मीडिया किसी को बचाने की कोशिश कर रहा है या फिर कहीं और से भारतीय मीडिया की चाबी घुमाई जा रही है। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, डिजिटल मीडिया के इस दौर में क्या कोई भी खबर छिपाई जा सकती है। यह खबर भी नहीं छिपी और सोशल मीडिया में इस बात को लेकर शोर मचा हुआ है।

सवाल विश्वसनीयता का
इस मसले पर मेनस्ट्रीम मीडिया की चुप्पी सबको अखर रही है। इससे मीडिया की विश्वसनीयता पर एक बार फिर से सवालिया निशान लगा है। गोदी मीडिया वाली उक्ति को बल मिल रहा है। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में मीडिया का यह रवैया न सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण बल्कि घातक भी है।

सोशल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय नौसेना के इन अधिकारियों पर कतर की हाई ग्रेड पनडुब्बियों की इजरायल के लिए जासूसी के आरोप लगे हैं। इन आरोपों में कितना दम है, कम से कम इसी मुद्दे पर भारतीय मीडिया मुखर होता और अपने नौसैनिकों का बचाव करता हुआ नजर आता, पर ऐसा होता हुआ भी नहीं दिख रहा है। आका पर उंगली न उठें, इस चक्कर में भारतीय मीडिया अपने जांबाज सैनिकों से भी दूरी बनाती हुई नजर आ रही है।

ये लेखक के निजी विचार हैं.

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