-भारत की राष्ट्रपति ने कश्मीर विश्वविद्यालय के 20वें दीक्षांत समारोह की बढ़ाई शोभा
श्रीनगर, 11 अक्टूबर (हि.स.)। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कश्मीर विश्वविद्यालय के 20वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि देश को कश्मीर के जिम्मेदार युवाओं पर गर्व है। उन्होंने कश्मीर विश्वविद्यालय के छात्रों से अपनी पढ़ाई के साथ-साथ समाज सेवा में भी सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ऐसा करके वे सामाजिक बदलाव ला सकते हैं और एक मिसाल कायम कर सकते हैं। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि पूर्व छात्रों ने देश की सेवा करके इस विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ाया है।
कश्मीर विश्वविद्यालय के आदर्श वाक्य जिसका अर्थ है ‘आइए हम अंधकार से प्रकाश की ओर चलें‘ का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जितना अधिक हमारे युवा शिक्षा के प्रकाश की ओर, शांति के प्रकाश की ओर बढ़ेंगे, उतना ही हमारा देश प्रगति करेगा। जिस समाज और देश के युवा विकास और अनुशासन के मार्ग पर चलते हैं, वह समाज और देश प्रगति और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ता है।‘
उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर खुशी हुई कि कश्मीर विश्वविद्यालय में 55 प्रतिशत छात्र लड़कियां हैं। वे हमारे देश और उसकी नियति की तस्वीर पेश करती हैं। महिलाएं और लड़कियां देश के नेतृत्व में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम‘ 2023 हमारे देश में महिला नेतृत्व वाले विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा।
सतत विकास के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि सतत विकास की सीख कश्मीर की विरासत का हिस्सा है। उन्होंने एक कहावत का हवाला दिया जिसका अर्थ है ‘जब तक जंगल हैं तभी तक भोजन रहेगा‘ और कहा कि पृथ्वी पर इस स्वर्ग को संरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कश्मीर विश्वविद्यालय से हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के प्रति सतर्क रहने का आग्रह किया। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि ग्लेशियोलॉजी, जैव विविधता संरक्षण और हिमालयन आइस-कोर प्रयोगशाला से संबंधित कार्य विभिन्न चरणों में हैं।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विश्वविद्यालय ऐसे सभी क्षेत्रों में तीव्र गति से कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान प्रणालियों पर जोर दिया गया है। यदि हमारे युवाओं को भारतीय ज्ञान प्रणालियों के बारे में अच्छी जानकारी दी जाए तो उन्हें कई प्रेरक उदाहरण मिलेंगे। लगभग 1200 वर्ष पूर्व श्रीनगर शहर को झेलम की बाढ़ से बचाने के लिए एक विशेषज्ञ सुय्या ने जो कार्य किया उसे हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में ज्ञान-विज्ञान के हर क्षेत्र में अमूल्य खजाना है। आज की परिस्थितियों में ऐसी जैविक रूप से विकसित ज्ञान प्रणालियों का पुनः उपयोग करने के तरीके खोजना अकादमिक जगत की जिम्मेदारी है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को उनकी गरिमामयी उपस्थिति से कश्मीर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह की शोभा बढ़ाने के लिए धन्यवाद दिया।
अपने संबोधन में उपराज्यपाल ने स्नातक होने वाले छात्रों को शुभकामनाएं दीं और उनके भविष्य के प्रयासों में सफलता की कामना की।
उपराज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह शैक्षणिक कैलेंडर के साथ-साथ छात्र जीवन में भी एक बहुत महत्वपूर्ण दिन है। यह एक मजबूत और ‘विकसित भारत‘ के निर्माण में योगदान करने के अनंत अवसरों के साथ शैक्षणिक और व्यावसायिक दोनों तरह से प्रगति के पथ पर एक कदम है।
उपराज्यपाल ने छात्राओं को बधाई दी और कहा कि हमें यह जानकर खुशी हुई कि आज स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले कुल छात्रों में से 66 प्रतिशत से अधिक हमारी बेटियां हैं।
हमारी बेटियों की उपलब्धि, उनका आत्मविश्वास, साहस और शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में नए कीर्तिमान रचने की क्षमता पूरे केंद्र शासित प्रदेश के लिए बहुत गर्व की बात है। यह राष्ट्र के उज्जवल भविष्य का प्रतिबिंब है और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की दिशा में एक कदम है।
उपराज्यपाल ने युवाओं को नए अवसरों की तलाश करने, नई चुनौतियों का सामना करने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों को उन्नत अनुसंधान, नवाचार, नए आविष्कार के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और समाज और उद्योगों की जरूरतों पर उचित प्रतिक्रिया देने के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा, हमें स्थानीय समुदायों की सेवा करने और पंक्ति में अंतिम व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने के लिए एक मजबूत तंत्र की आवश्यकता है। उपराज्यपाल ने अपने आदर्श वाक्य ‘‘तमसो मा ज्योतिर्गमय‘‘-अंधेरे से प्रकाश की ओर और देश की ज्ञान अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए कश्मीर विश्वविद्यालय की सराहना की।
कश्मीर विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रोफेसर नीलोफर खान ने विश्वविद्यालय की रिपोर्ट प्रस्तुत की और विभिन्न क्षेत्रों में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
दीक्षांत समारोह में न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह, मुख्य न्यायाधीश जम्मू कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय जुनैद अजीम मट्टू, मेयर एसएमसी आफताब मलिक, अध्यक्ष डीडीसी श्रीनगर, विभिन्न विश्वविद्यालयों के उपकुलपति, शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुख, वरिष्ठ अधिकारी संकाय सदस्यों और छात्रों ने भाग लिया।