झारखंड सरकार किसानों को ऋण माफी योजना का लाभ देने पर विचार कर रही है। दरअसल ‘झारखंड कृषि ऋण माफी योजना’ का लाभ लेने के लिए कम किसान आने लगे हैं। किसानों की कम संख्या को देखते हुए अब कृषि विभाग अब नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए) घोषित खाताधारी को ऋण माफी योजना का लाभ देने का मन बना रहा है। ऐसे किसानों की करीब चार लाख की संख्या आंकी गई है। योजना को शुरू करने को लेकर बैंक अधिकारियों की कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक भी हो गई है। बैंक के अधिकारियों ने कहा है कि इस पर स्थानीय स्तर से निर्णय नहीं हो सकता है। इसके लिए बोर्ड स्तर से निर्णय लेना होगा। इसके लिए दूसरे राज्यों के मॉडल को अपनाया जा सकता है। 

सिर्फ 34,700 किसानों ने ही दिया आवेदन 
चालू वित्तीय वर्ष में मात्र 34,700 किसानों ने ही ऋण माफी के लिए आवेदन किया है। बीते वित्तीय वर्ष तक 4.14 लाख से अधिक किसानों का ऋण माफ हो चुका है। इस पर राज्य सरकार करीब 1818 करोड़ से अधिक खर्च कर चुकी है। बता दें कि राज्य सरकार राज्य के एनपीए खाताधारी किसानों को कर्नाटक मॉडल पर ऋण माफ करने की योजना पर बात कर रही है। इसमें किसानों की हिस्सेदारी भी रहेगी। कर्नाटक में ऋण की राशि का 25 फीसदी बैंक, 50 फीसदी सरकार तथा 25 फीसदी लाभुक को वहन करना होता है. ऐसा करने पर किसान को पहले अपनी हिस्सेदारी देकर खाते को एनपीए से हटाना होगा.

31 मार्च 2023 को कट ऑफ डेट 
राज्य सरकार ने अगर एनपीए खाताधारी किसानों का ऋण माफ किया, तो करीब चार लाख किसानों को इसका लाभ मिलेगा। इन पर करीब 1700 करोड़ रुपये ऋण का बकाया है। योजना के तहत किसानों का औसत करीब 50 हजार रुपये माफ होगा। राज्य सरकार इसके लिए 31 मार्च 2023 को कट ऑफ डेट रख सकती है। तीन साल तक ऋण का पैसा नहीं देनेवाले किसानों के खाते को बैंकों ने एनपीए में डाल दिया है। इससे कोई लेन-देन नहीं होता है। ऋण माफी स्कीम का लाभ सबसे अधिक पलामू के किसानों ने लिया है। वहां किसानों को 158.70 करोड़ माफ किया गया है। सबसे कम 24.50 करोड़ ऋण माफी का लाभ सिमडेगा के किसानों ने लिया है. रांची के किसानों का 112.93 करोड़ ऋण माफ किया गया है। 

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