November 24, 2024

खूंटी। विहिप एवं बजरंग दल द्वारा बिरसा की जन्मस्थली उलिहातू से शौर्य जागरण यात्रा निकाले जाने के कार्यक्रम का गुरुवार को आदिवासियों ने तीव्र विरोध किया। आदिवासियों के विरोध को देखते हुए विहिप, बजरंग दल के पदाधिकारियों द्वारा किसी प्रकार की कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो। इसे लेकर कचहरी परिसर स्थित बिरसा पार्क में स्थापित भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पूजन और माल्यार्पण के बाद शौर्य जागरण रथ यात्रा प्रारंभ की गयी।

कचहरी परिसर से निकाली गयी शौर्य जागरण रथ यात्रा मुख्य पथ से भगत सिंह चौक, नेताजी चौक, मिश्रा टोली होते हुएा पिपराटोली स्थित श्रीराम मंदिर पहुंचकर समाप्त हुई। शौर्य जागरण रथ यात्रा में प्रांत से आये विहिप के संगठन मंत्री देवी सिंह, उपाध्यक्ष कृष्णजी, विहिप के जिलाध्यक्ष विनोद जायसवाल, मुकेश जायसवाल, विशाल ठाकुर, प्रवीण जायसवाल, विकास मिश्रा, ओमप्रकाश, प्रकाश अधिकारी, सचिन मिश्रा, संजय गुप्ता, मुसाफिर विश्वकर्मा, छोटराय मुंडा, सुनील साहू सहित अन्य स्वयंसेवक और कार्यकर्ता शामिल थे।

आदिवासियों ने किया विरोध

बिरसा की जन्मस्थली उलिहातू से विहिप एवं बजरंग दल द्वारा शौर्य जागरण यात्रा निकाले जाने के कार्यक्रम का गुरुवार को आदिवासियों ने तीव्र विरोध किया। बिहिप बजरंग दल के निर्धारित कार्यक्रम से पूर्व सरना संगोम समिति की दुर्गावती ओड़ेया, गुटूहातू मुखिया सुरजू हस्सा, कुदा मुखिया, अमर मुंडा, तड़कन मुंडा, बिरसा मुंडा आदि आदिवासी नेताओं के नेतृत्व में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग उलिहातू पहुंचे और उलिहातू से धर्म विशेष संबंधी यात्रा निकाले जाने का विरोध किया।

बाद में सायको-किताहातू चौक पर आदिवासियों ने प्रदर्शन कर विहिप बजरंग दल के कार्यक्रम का तीव्र विरोध किया। विरोध का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेताओं का कहना था कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं। इसलिए आदिवासियों पर जबरन सनातन संस्कृति थोपने के किसी भी आयोजन को बिरसा की जन्मस्थली से शुभारंभ नहीं करने देंगे।

आदिवासियों के इस विरोध प्रदर्शन की सूचना पाकर मौके पर पहुंचे अनुमंडल पदाधिकारी अनिकेत सचान, एलआरडीसी जितेंद्र मुंडा, एसडीपीओ अमित कुमार सहित अन्य पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को काफी समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे विरोध पर अड़े रहे। अधिकारियों का कहना था शहीद बिरसा मुंडा को भगवान का दर्जा मिला है, लोग उन्हें पूजते हैं। इसलिए उनके पवित्र जन्म स्थान पर कोई उनकी पूजा-अर्चना कर यात्रा प्रारंभ कर रहा हो, तो इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, लेकिन प्रदर्शनकारी बिरसा के जन्म स्थान से धर्म विशेष के लिए निकाले जानेवाली यात्रा को नहीं निकालने देने की अपनी बात पर अड़े रहे।

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