पश्चिम सिंहभूम जिले के सोनुआ प्रखण्ड के रेंगालबेड़ा गांव में एक वाक्या ने सिस्टम की पोल खोली है। इस गांव की स्थिति ये है कि कोई बीमार पड़े तो उसे इलाज के लिये अस्पताल ले जाने के लिये गांव तक एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती है। लोग खाट पर लाद कर बीमार व्यक्ति को मुख्य सड़क तक लाते हैं। तब तक लोगों की जान चली जाती है। दरअसल जिला के सोनुआ प्रखंड के रेंगालबेड़ा गांव में एक 58 वर्षीय बीमार महिला शुरु पूर्ति को ईलाज के लिये अस्पताल ले जाने के लिये जब गांव तक एम्बुलेंस या कोई निजी वाहन नहीं पहुंच पाया, तो परिजनों और ग्रामीणों ने उसे खटिया से ढोकर करीब एक किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक लाया। इसके बाद उसे एक निजी वाहन से सोनुआ अस्पताल लाया गया। सोनुआ अस्पताल से बेहतर इलाज के लिये उसे चाईबासा रेफर कर दिया गया और फिलहाल महिला का इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है। हालांकि बता दें कि इस जिले के विभिन्न  प्रखंडों के पंचायतों के विकास को लेकर अरबों रुपये डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड के तहत वर्षों से खर्च किए जा रहे हैं। उसके बाद भी अब भी कई ऐसे गांव है जहां बीमार ग्रामीणों को अस्पताल से जाने के लिए सड़क तक नहीं है। जिस कारण बीमार होने पर ग्रामीणों को खटिया पर लादकर 1 या 2 किलोमीटर चलकर मुख्य सड़क तक लाया जाता है। उसके बाद एम्बुलेंस से अस्पताल तक लाया जाता है। 

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