– जवान को दी गई रुचि के अनुसार राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की सलाह
सेना के जवानों से अब छुट्टी के दौरान घर पर जाने के दौरान केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का प्रचार-प्रसार कराने की तैयारी है। इस सम्बन्ध में सेना और सरकार के बीच विचार-विमर्श चल रहा है। सेना ने छुट्टी पर जाने वाले हर जवान को अपनी रुचि और अपने स्थानीय समुदाय की आवश्यकता के आधार पर राष्ट्र निर्माण की कोशिश में योगदान देने की सलाह की है। साथ ही चलाए गए अभियानों पर हर तीन महीने में फीडबैक देने के लिए भी कहा गया है।दरअसल, सेना की एडजुटेंट जनरल की ब्रांच के तहत सेना के समारोह और कल्याण निदेशालय ने इसी साल मई में सभी कमांड मुख्यालयों को एक पत्र लिखा था, जिसमें जवानों को अपनी छुट्टियों का अच्छा से इस्तेमाल करने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की सिफारिश की गई थी। पत्र में सलाह दी गई थी कि छुट्टी पर जाने वाला हर सैनिक अपनी रुचि और अपने स्थानीय समुदाय की आवश्यकता के आधार पर किसी भी विषय को चुनकर व्यक्तिगत योगदान देते हुए स्थानीय लोगों को अपने अभियान में शामिल करें। साथ ही चलाए गए अभियानों पर हर तीन महीने में फीडबैक देने के लिए भी कहा गया था।सभी कमांड मुख्यालयों के साथ हुए पत्राचार में कहा गया था कि जवान सामाजिक सरोकारों से जुड़ कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देकर अपनी छुट्टियों का बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं। प्रचार-प्रसार के लिए सरकारी योजनाओं का चुनाव जवान खुद ही कर सकते हैं। हालांकि, इस सिफारिशी पत्र के बाद सेना की ओर से कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है, लेकिन सेना अपने जवानों को छुट्टी के दौरान सामाजिक गतिविधियों में शामिल होने का सुझाव दे रही है। छुट्टी के दौरान आर्मी के जवान अपने क्षेत्र में सरकारी योजनाओं की जानकारी लोगों को देंगे। उन्हें ‘स्वच्छ भारत अभियान’ और ‘सर्व शिक्षा अभियान’ जैसी योजनाओं से अवगत कराएंगे।दरअसल, इस तरह का एक प्रयोग पहले केंद्रीय अर्धसैनिक बलों ‘सीएपीएफ’ के साथ किया जा चुका है। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों को भी इसी तरह की ड्यूटी दी गई थी। सीएपीएफ को अपनी तैनाती वाले भौगोलिक क्षेत्र में इतिहास की विस्तृत जानकारी एकत्रित करने के लिए कहा गया है। अपनी ड्यूटी के अलावा जवान वहां के इतिहास का दस्तावेज भी तैयार करेंगे। अब इसी प्रयोग को भारतीय सेना के जवानों के साथ दोहराने की तैयारी चल रही है। हालांकि, सेना के पत्र में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अक्सर कठिन परिस्थितियों में सेवा करने वाले जवानों के पास छुट्टी के दौरान इस तरह की सामाजिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए कैसे पर्याप्त समय होगा। सेना के जवानों को छुट्टी देने का मकसद उन्हें अपने परिवार के साथ समय बिताने और पारिवारिक घरेलू काम पूरा करना होता है।
सेना से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि सामाजिक सेवा में कुछ गलत नहीं है, बशर्ते जवान अपने तरीके से उसमें भाग ले। फौज हो चाहे केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवान, सभी के लिए छुट्टी बहुत मायने रखती है। कठोर ड्यूटी से जब किसी जवान को फुर्सत मिलती है, तो उसके सामने घरेलू कार्यों की लंबी फेहरिस्त तैयार रहती है। चूंकि वह कई-कई महीनों के बाद वह घर जाता है, तो उसके पास पारिवारिक जिम्मेदारियां भी रहती हैं। सेना में अग्निवीरों की भर्ती होने के बाद जवानों को साल में 30 दिन की ही छुट्टी मिलेगी। ऐसे में अपने परिवार के साथ छुट्टी मनाने गए जवानों को स्थानीय स्तर पर सरकारी योजनाओं का प्रचार कराने की योजना का विचार उचित नहीं है।