नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर कहा कि इस वर्ष की थीम सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति का अभियान है। जिसकी बात विश्व अब कर रहा है, उस पर भारत ने 5 साल से पहले से ही लगातार काम करना शुरू कर दिया था। देश में साल 2018 में ही एकल उपयोग प्लास्टिक के लिए दो स्तर से काम कर रहा है। एक सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया और दूसरी तरफ प्लास्टिक की रिसाइकलिंग पर तेजी से काम किया गया। देश में 30 लाख टन प्लास्टिक की पैकेजिंग जरूरी कर दी गई है, जो कि देश का कुल उत्पादन का 75 फीसदी है।
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम को दिए अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी के भारत ने जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण की रक्षा के लिए स्पष्ट दिशा में काम शुरू कर दिया है। भारत ने एक तरफ गरीब लोगों की मदद की है, तो दूसरी तरफ भविष्य की ऊर्जा की आवश्यकता को देखते हुए कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि ग्रीन इकोनॉमिक्स अभियान को जारी रखते हुए भारत ने पिछले 9 सालों में रामसर साइट में तीन गुना बढ़ोतरी की है।
उन्होंने कहा कि आज लांच हुए अमृत धरोहर योजना के तहत जनभागीदारी की मदद से रामसर साइट्स का संरक्षण सुनिश्चित हो सकेगा। इसके साथ मिस्टी योजना के माध्यम से मैंग्रोव इकोसिस्टम को जीवन मिलेगा। इससे नौ राज्यों में मैंग्रोव को पुनर्स्थापित किया जा सकेगा और इससे जीवन और आजीविका को साधने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि दुनिया का विकास मॉडल विरोधाभासी है। कुछ विकसित देशों की गलत नीतियों का खमियाजा विकासशील देश उठा रहे हैं। भारत ने विश्व के सामने जलवायु न्याय का सवाल उठाया है । भारत आज अपने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व तरीके से फोकस कर रहा है।
उन्होंने कहा कि देश में गरीबों के लिए 4 करोड़ मकान बनाए गए और वन्य जीवन अभयारण्य में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर तैयार किए गए। रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में भारत पहले पांच देशों में से एक है। उन्होंने कहा कि पिछले साल लॉन्च हुए मिशन लाइफ से अब तक दो करोड़ लोग जुड़ चुके हैं।