नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ एक्ट की संवैधानिक वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को 7 दिन का वक्त दिया. कोर्ट ने साथ ही यह शर्त भी लगाई कि इस बीच केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नियुक्ति नहीं होनी चाहिए. केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें कुछ दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक जवाब देने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया जाए, जिसे कोर्ट ने मान लिया. कोर्ट ने कहा कि मामले में इतनी सारी याचिकाओं पर विचार करना संभव नहीं है. कोर्ट अब केवल 5 पर ही सुनवाई करेगा.वक्फ एक्ट पर गुरुवार को दूसरे दिन सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि यदि किसी वक्फ प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन 1995 के अधिनियम के तहत हुआ है तो उनको नहीं छेड़ा जा सकता.केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिया कि वह अगली सुनवाई तक ‘वक्फ बाय डीड’ और ‘वक्फ बाय यूजर’ को गैर-अधिसूचित यानी डिनोटिफाइ नहीं करेगा. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच मई की तारीख तय की. केंद्र ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था, जिसे दोनों सदनों में तीखी बहस के बाद संसद से पारित होने के पश्चात पांच अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई थी. राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 128 और विरोध में 95 सदस्यों ने मत दिया था. लोकसभा में इसके पक्ष में 288 तथा विरोध में 232 वोट पड़े. इस तरह यह दोनों सदनों से बिल पारित हुआ था।

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