पटना । बिहार की आईपीएस (IPS) अधिकारी काम्या मिश्रा , जिन्हें “लेडी सिंघम” के नाम से भी जाना जाता है, ने महज 28 साल की उम्र में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया, जिसे हाल ही में राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी। 22 साल की उम्र में यूपीएससी परीक्षा पास कर आईपीएस बनने वाली काम्या ने अपने छोटे से करियर में कई बड़े मामलों को सुलझाकर खूब सुर्खियां बटोरीं। लेकिन अचानक उनके इस फैसले ने सबको हैरान कर दिया। आखिर क्या कारण रहे कि उन्हें इतनी प्रतिष्ठित नौकरी छोड़नी पड़ी? आइए, जानते हैं। 5 अगस्त 2024 को खबर आई थी कि आईपीएस अधिकारी काम्या मिश्रा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, हालांकि, जब उनसे इसके पीछे का कारण पूछा गया, तो उन्होंने इसे निजी और पारिवारिक वजहों से जोड़ा। उस वक्त पुलिस मुख्यालय ने उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया था, लेकिन अब जाकर इसे मंजूरी मिल गई है। काम्या मिश्रा ने अपनी पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित लेडी श्रीराम कॉलेज से पूरी की। साल 2019 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में देशभर में 172वां स्थान हासिल किया, जिसके बाद उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा के लिए हुआ। शुरुआत में उन्हें हिमाचल प्रदेश कैडर आवंटित किया गया, लेकिन बाद में उनका तबादला बिहार कैडर में हो गया। काम्या मिश्रा के पति अवधेश सरोज भी एक आईपीएस अधिकारी हैं और 2021 बैच से बिहार कैडर में सेवारत हैं। काम्या मिश्रा ने कहा था कि वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं और घर पर बड़ा व्यवसाय है, जिसे संभालना मुश्किल हो रहा है। साथ ही, परिवार की जिम्मेदारियों को भी संभाल पाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो गया था। उनका यह भी कहना था कि इतनी प्रतिष्ठित नौकरी कोई आसानी से नहीं छोड़ता, लेकिन कई मौकों पर उन्होंने जिक्र किया कि उनका मन अब इस नौकरी में नहीं रम रहा था। काम्या मिश्रा ने महज 22 साल की उम्र में 2019 में अपनी पहली कोशिश में ही यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की और हिमाचल प्रदेश कैडर में आईपीएस के रूप में चयनित हुईं। उनकी लगन और कठिन परिश्रम ने उन्हें इस चुनौतीपूर्ण परीक्षा में कामयाबी दिलाई। साल 2021 में काम्या मिश्रा ने बिहार कैडर में अपना स्थानांतरण करवाया। इसी दौरान उनके पति अवधेश दीक्षित भी आईपीएस अधिकारी बने, जो वर्तमान में मुजफ्फरपुर में सिटी एसपी के तौर पर कार्यरत हैं। 7 मार्च 2024 को काम्या मिश्रा को दरभंगा की पहली ग्रामीण एसपी बनाया गया। इससे पहले वह पटना सचिवालय में सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के पद पर अपनी सेवाएं दे रही थीं। उनकी यह नियुक्ति ग्रामीण इलाकों में कानून-व्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थी।

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