नई दिल्ली । केबिनेट ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल को मंजूरी दे दी है। सूत्रों के हवाले से आई खबर के मुताबिक, इस बिल का मकसद देश में चुनाव प्रक्रिया को आसान और कम खर्चीला बनाना है। इस फैसले के बाद एक व्यापक बिल लाया जाएगा जिससे पूरे देश में लोकसभा, विधानसभा, शहरी निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने का रास्ता साफ होगा। सितंबर में, केंद्रीय कैबिनेट ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके तहत लोकसभा, विधानसभा, शहरी निकाय और पंचायत चुनावों को 100 दिनों के भीतर कराने का सुझाव दिया गया था। इस साल जब सितंबर में कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाने वाला कदम बताया था। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा था, “कैबिनेट ने समान चुनावों पर बनी उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं। मैं पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने इस प्रयास का नेतृत्व किया और कई हितधारकों से सलाह-मशविरा किया। यह लोकतंत्र को और अधिक जीवंत और भागीदारीपूर्ण बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।” केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस पहल का समर्थन करते हुए कहा था कि बार-बार होने वाले चुनावों से समय और धन की बड़ी बर्बादी होती है। उन्होंने कहा था, “मैं कृषि मंत्री हूं, लेकिन चुनावों के दौरान मुझे तीन महीने प्रचार में बिताने पड़े। इससे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, अधिकारियों और कर्मचारियों का समय बर्बाद होता है। सभी विकास कार्य ठप हो जाते हैं और फिर नई घोषणाएं करनी पड़ती हैं।” विशेषज्ञों का मानना है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से चुनावी खर्च में कमी आएगी, सार्वजनिक कल्याण योजनाओं में रुकावट कम होगी और देश में विकास कार्य तेजी से हो सकेंगे। इस पहल को लेकर सरकार अब विपक्ष और अन्य हितधारकों के साथ चर्चा करेगी।

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