रांची। इंडिया गठबंधन की 56 सीटों वाली सरकार झारखंड में बन गई । दो चरणों में मतदान हुए थे। पहला चरण 13 नवंबर और दूसरा चरण 20 नवंबर और मतगणना 23 नवंबर को हुआ। 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद पर चौथी बार हेमंत सोरेन ने शपथ लिया।अब बहुमत साबित होने के बाद मंत्री मंडल का गठन होगा। प्रोमोटर स्पीकर स्टीफन मरांडी को बनाया गया है।
किसको कितने पद मिलेंगे:
झारखंड मुक्ति मोर्चा 34,कांग्रेस16, आरजेडी 4,भाकपा माले 2 सीटों पर जीते हैं । झामुमो कोटे से 6 मंत्री , कांग्रेस से 4 , राजद से एक और भाकपा माले से एक हो सकते हैं।
ऐसे में कांग्रेस का कौन होंगे मंत्री:
गठबंधन के बाकी विधायकों में मंत्री पद किसे मिलेगा इस पर अभी सस्पेंस बरकरार है। लेकिन कांग्रेस में खिंचतान जारी है। 2019 में कृषि मंत्री दीपिका पांडेय,ग्रामीण विकास अलमगीर आलम,बाद डा इरफान और वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को बनाया गया था, इस बार बन्ना चुनाव हार चुके हैं। कांग्रेस के शीर्ष नेतागण चाहते हैं जिनको पूर्व में मंत्री पद मिल चुके हैं उन्हें इस बार मौका न देकर नये चेहरे वाले को मौका दिया जाना चाहिए।
नये चेहरे में कौन हो सकता है:
कांग्रेस के नये चेहरों में विल्सन कोगांड़ी जो मिशनरी वोट पर फोकस कर सकते हैं। राजेश कच्छप और एससी सीट पर कांके में पहली बार कांग्रेस को जीत दिलाने वाले सुरेश बैठा पहली पसंद हैं,लेकिन छतरपुर से राधा कृष्ण पर भी मुहर लग सकती है।
महिला में ममता देवी को मौका:
कांग्रेस में महिला विधायक में दीपिका पांडेय पहले कृषि मंत्री रह चुकी हैं,तो इनके स्थान पर पोड़ैयाहाट के विधायक ओबीसी कोटे को देखते हुए प्रदीप यादव को मंत्री पद मिलने की उम्मीद है तो, वहीं दूसरी ओर रामगढ़ की विधायक ममता देवी को मौका मिल सकता है। ममता देवी ने भाजपा के सहयोगी दल आजसू और गिरीडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी की पत्नी सुनिता चौधरी को करीब 6314 वोटों से धूल चटाई दी है। ममता देवी 2019 में भी चुनाव हराकर विधायक बनी थी। ममता को जेल जाने के बाद 2023 में उपचुनाव हुआ था , जिसमें ममता के पति चुनाव लड़े और हार गये थे, लेकिन 2024 में ममता देवी चुनाव लड़ी और जीती गई ।
ममता को इसलिए मौका मिल सकता है:
सरकार अपने मंत्रीमंडल में उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल को प्रमुखता देगी। क्योंकि उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल धनबाद, बोकारो, हजारीबाग, कोडरमा,रामगढ़,गिरीडीह,चतरा शामिल हैं। इस क्षेत्र के बोकारो में कांग्रेस से स्वेता सिंह पहली बार जीती है,वहीं बेरमो से अनुप सिंह है। इसलिए ममता देवी का इस क्षेत्र से पलड़ा भारी लग रहा है।
क्या है खासियत:
धनबाद कोल माइनिंग के लिए मशहूर है।कोडरमा ज़िले में अभ्रक पाया जाता है।बोकारो ज़िला लौह इस्पात उद्योग है। गिरिडीह ज़िले में पारसनाथ की पहाड़ी पर जैन धर्म का एक बड़ा मंदिर है। चतरा ज़िले के इटखोरी में भद्रकाली का मंदिर है और रामगढ़ ज़िला कोल खनिज सम्पदा से भरा है पड़ा है और ममता देवी इसी विधानभा से दो बार विधायक चुनी गई है।
ममता देवी क्यों गई थी जेल:
हजारीबाग व्यवहार न्यायालय स्थित एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें कुल 7 साल की सजा सुनायी थी। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब वह फिर से सक्रिय राजनीति में लौट आई है। पूरा मामला ये है कि गोला प्रखंड के टोनागातू में इनलैंड पावर प्लांट निर्माण किया गया था। इसके निर्माण के समय कई ग्रामीण यहां से विस्थापित हुए थे। इन लोगों को हटाने से पहले नौकरी, मुआवजा और रोजगार देने का आश्वासन दिया गया। प्रबंधन ने अपने कहे के अनुसार कुछ लोगों को नौकरी तो दी लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हे पर्याप्त सुविधा और रोजगार नहीं दिया गया। इसी मांग को लेकर 29 अगस्त, 2016 को तत्कालीन पार्षद ममता देवी एवं राजीव जायसवाल के नेतृत्व में यहां पर धरणा प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। इस दौरान अचानक पुलिस और आंदोलन कर रहे लोगों के बीच पथराव हो गया और धीरे धीरे यह रणक्षेत्र में तब्दील हो गया। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में फायरिंग की जिसमें दो लोगों की मौत हो गयी और 43 लोग घायल हो गये। जिसके बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने तत्कालीन सीओ की गाड़ी में आग लगा दी। इसे लेकर गोला और रजरप्पा थाना में अलग-अलग मामला दर्ज किया गया था। हजारीबाग व्यवहार न्यायालय स्थित एमपी- एमएलए कोर्ट के जज पवन कुमार ने इस मामले की सुनवाई करते हुए रामगढ़ की तत्कालीन विधायक ममता समेत 13 आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनायी थी। उन्हें आईपीसी की धारा 333 और 307 के तहत 5 साल की सजा सुनायी गयी थी। इसके अलावा 148 और 332 के तहत 2 साल की सजा के साथ साथ 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। झारखंड हाईकोर्ट ने इसी सजा पर रोक लगा दी तभी ममता देवी विधानसभा चुनाव लड़ सकी।
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