Wednesday, July 3, 2024

प्रभात मंत्र

Breaking News

मुसलमानों का जो हक-अधिकार बिहार के समय था उससे भी झारखंड में वंचित रखा जा रहा है : हसन रिजवी

23 Nov 2022


परवेज कुरैशी

रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा आदिवासियों, मुसलमानों, पिछड़ों, दलितों और शोषितों की पार्टी रही है, उद्योगपतियों, भू-माफियों, जमीन दलालों की विरोध करने वाली पार्टी है।
झामुमो का उदय ही संघर्ष और आंदोलन से हुई है। उक्त बातें झारखंड मुक्ति मोर्चा के अविभाजित बिहार के समय छोटा नागपुर, (अब झारखंड) के पहले मुस्लिम विधायक व पूर्व अल्पसंख्यक वित्त कार्पोरेशन के निदेशक रहे मोहम्मद हसन रिजवी (72) ने 22 नवंबर 22 को झारखंड विधानसभा के 22वीं स्थापना दिवस के अवसर पर एक मुलाकात में प्रभात मंत्र के वरीय संवाददाता परवेज कुरैशी से बातचीत में कही। मोहम्मद हसन रिजवी ने बताया कि वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के पश्चिमी जमशेदपुर से पहले विधायक हुए हैं, 1990 से 95 तक। मोहम्मद हसन रिजवी बताते हैं कि हाल ही में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मुलाकात कर के उन्हें इस बात से अवगत कराया गया है कि अविभाजित बिहार सरकार में जो हक, अधिकार मुसलमानों को प्राप्त था, जैसे मदरसा बोर्ड, उर्दू एकेडमी, अल्पसंख्यक आयोग , अल्पसंख्यक वित्त कार्पोरेशन निदेशक बोर्ड, उर्दू शिक्षकों की बाहली,पेंशन, सरकारी नौकरियों में आरक्षण सहित कई ऐसी योजनाएं व बोर्ड निगम में अधिकार था,उन सभी हक व अधिकारों से अलग झारखंड गठन होने के बाद से मुसलमानों को वंचित कर दिया गया है, जो सरासर ग़लत है और इस ओर गंभीरता पूर्वक ध्यान देते हुए 2024 विधानसभा चुनाव से पहले पूरा करें, ताकि झारखंड के मुसलमानों को लगे कि उनके लिए हेमंत सोरेन के महागठबंधन की सरकार ने कुछ बेहतर काम किया है।

कैसे बना झामुमो:

झारखंड मुक्ति मोर्चा के पश्चिमी जमशेदपुर के पूर्व विधायक मोहम्मद हसन रिजवी ने बताया कि कॉलेज के समय से राजनीति में थे। इसी दौरान कांग्रेस पार्टी से जुड़ गए, और धीरे धीरे सक्रिय कार्यकर्ता में शुमार हो गये। पार्टी ने कार्य करने का तरीका और मेहनत को देखते हुए जमशेदपुर में कांग्रेस पार्टी का सचिव नियुक्त कर दिया। 1979 के बीच जमशेदपुर में एक दंगा हुआ था, कई लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। अभी सब कुछ सामान्य हो ही रहा था, कि एक बार फिर 1989 में बड़ी तेजी के साथ अयोध्या राम जन्म भूमि शिलान्यास का मुद्दा जोर-शोर से उठने लगा। मुसलमानों में डर और भय पैदा होने लगा । इन सब बातों से जमशेदपुर के तत्कालीन सांसद व केंद्रीय मंत्री रहे कालिंदी को अवगत कराया गया, ताकि घटना होने से पहले इसे रोका जा सके , चूंकि केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। कांग्रेस बंद कमरे में पॉलिटिक्स करती नजर आई, नतीजा यह हुआ कि इन लोगों ने उस दौरान किसी तरह की पहल करने से इंकार कर दिया। तब हम लोगों ने देखा कि यदि शिलान्यास को लेकर लोग सड़क पर उतरेंगे, तो फिर 1979 जैसी घटना देखने को मिलेगी , जो दोनों समुदायों के लोगों के लिए नुकसान देह साबित होगा। ऐसे कई सेकुलर सोच के हिंदू साथी का भी समर्थन था कि जमशेदपुर में शांति व्यवस्था कायम रहे। इसी साकारात्मक सोच के साथ हम लोगों ने 1989 में अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही झारखंड मुक्ति मोर्चा के तत्कालीन नेता शैलेंद्र महतो से भेंट की और उन्हें पूरी बाते बताई। उन्होंने हमारा समर्थन किया और इस तरह से हम लोगों ने तीर धनुष लेकर सड़क पर उतर आए, यह भीड़ जमशेदपुर की हर सड़क व गलियों में देखी गई और आखिर में ऐसे लोग जो उपद्रव की नियत से सड़क पर उतरने वाले थे वैसे लोग तीर धनुष देखकर पीछे हट गए। पूरे जमशेदपुर में शांति बहाल रही । इस तरह से झारखंड मुक्ति मोर्चा में करीब एक लाख से अधिक मुसलमानों ने रातों-रात कांग्रेस पार्टी छोड़कर सीधे झारखंड मुक्ति मोर्चा के अगुआ दिशुम गुरु शिबू की उपस्थिति में झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गए।

पहली बार जमेशदपुर से जीता चुनाव:

मो . हसन रिजवी ने बताया कि इसी के एक साल बाद ही 1990 में लोकसभा का चुनाव हुआ । जिसमें लंबे समय से चुनाव हारते आ रहे शैलेंद्र महतो मुसलमानों में सपोर्ट मिला और आदिवासी , मुसलमानों की वोट से शैलेंद्र महतो झारखंड मुक्ति मोर्चा के जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए। इसी साल 1990 में अविभाजित छोटा नागपुर अब का झारखंड विधानसभा चुनाव हुआ ,और इसमें पहली बार मुसलमानों की तरफ से हमें पश्चिमी जमशेदपुर विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दिया गया, चुनाव जीत कर बिहार विधानसभा में जगह पाई। इस तरह से एक बार अल्पसंख्यक वित्त कारपोरेशन का निदेशक के पद पर भी रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मोहम्मद हसन रिजवी आगे बताते हैं कि लालू प्रसाद की सरकार बनी झारखंड मुक्ति मोर्चा का समर्थन उन्हें प्राप्त था , लेकिन इसी बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता सुबोध कांत सहाय लालू प्रसाद की सरकार को अस्थिर करने के लिए छोटा नागपुर में झारखंड मुक्ति मोर्चा को तोड़ने का प्रयास किया। झारखंड मुक्ति मोर्चा के करीब 19 विधायक जो चुनकर पहली बार बिहार विधानसभा पहुंचे थे , उसे दो भागों में तोड़ने का काम किया गया। एक जेएमएम मार्डी और दूसरा जेएमएम शिबू सोरेन पार्टी बनी। जिसमें मैं और दिवंगत पूर्व विधायक डॉक्टर सबा अहमद सहित कई विधायक, मंत्री शिबू सोरेन के साथ रहे और कुछ विधायक झारखंड मुक्ति मोर्चा से टूटकर कृष्णा मार्डी झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ चले गए, हालांकि लालू प्रसाद की सरकार को शिबू सोरेन के नेतृत्व में हम लोग ने गिरने से बचा लिया । इसी के साथ लालू प्रसाद के सामने हम लोगों ने यह प्रस्ताव रखा था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा आदिवासी और मुसलमानों की पार्टी है। आदिवासी व मुसलमानों के संरक्षण के लिए आपको सुरक्षा और रोजगार का व्यवस्था करनी होगी। उस दौर में जमशेदपुर समय-समय पर घटनाएं होती रहती थी। इन घटनाओं को रोकने के लिए मुस्लिम एसपी की मांग की गई। इसी समय पहली बार 1992 में आईपीएस परवेज़ हयात पहले मुस्लिम एसपी बनकर जमशेदपुर आएं। इसके बाद (जितेंद्र नारायण कमीशन ) की एक कमेटी बनी थी । इसका उद्देश्य था कि ऐसे क्षेत्रों में, आदिवासी,दलित, मुस्लिम की सुरक्षा के लिए उसी वर्ग के पुलिस पदाधिकारी नियुक्त किया जायेगा,इसी कमेटी का हवाला देते हुए जमशेदपुर के कई थानों में मुस्लिम थानेदार , डीएसपी नियुक्त किए गए। इसी बीच ऐसे कई मुसलमान युवक के बारे में यह हवा उड़ाया गया कि मुस्लिम पुलिस अफसरों और मुस्लिम विधायक होने के लाभ कुछ असामाजिक तत्व के लोग उठा रहे हैं। जिसमें कुछ मुसलमान युवक का भी नाम शामिल था, यही कारण था कि 1995 में जब विधानसभा चुनाव हुआ तो हार का मुंह देखना पड़ा। मेरे बाद डॉक्टर सबा अहमद और बहुत बाद में हाजी हुसैन अंसारी झारखंड मुक्ति मोर्चा के मुस्लिम विधायक चुने गए।

कौन है मोहम्मद हसन रिजवी:

मोहम्मद हसन रिजवी झारखंड मुक्ति मोर्चा के जमशेदपुर पश्चिमी के 1990 से 95 तक पहले मुस्लिम विधायक रहे हैं । इनके ही दम से झारखंड मुक्ति मोर्चा मजबूती के साथ अस्तित्व में आया था। मोहम्मद हसन रिजवी ने बताया कि उनका जन्म जमशेदपुर साक्षी में पिता मौलवी मोहम्मद एनूल हक , मां मरियम निशा के यहां हुआ था। चार भाईयों में जिसमें मंजर इमाम, मोहम्मद हसन रिजवी, आले हसन , अख्तर इमाम है।
पत्नी कौसर बानो से शादी हुई।
बेटों में: डॉक्टर शादाब हसन, डॉक्टर शानदार हसन, सहकार हसन एमबीए,
बेटियों में : शिबा निगार एमसी बायोटेक बंगलौर, सीमा निगार मुजफ्फरपुर हाई स्कूल प्रिंसिपल, जेबा रिजवी साउथ अफ्रीका में है।
मो हसन की शिक्षा: प्रारंभिक शिक्षा जमशेदपुर साक्षी कलेरिया मिडिल स्कूल धतकीडीह, आर डी टाटा हाई स्कूल मैट्रिक , कोऑपरेटिव कॉलेज जमशेदपुर एम.ए., बीएससी और बीएड की ,शिक्षक भी रह चुके हैं।