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5 साल से कम उम्र के बच्चों में फ्लू के कारण अस्पताल में भर्ती होने का खतरा 7 गुना ज्यादा

23 Nov 2022


- बच्चों को स्वाइन फ्लू (एच1एन1) और तीन अन्य मौजूदा फ्लू वायरस से बचाने के लिए 4-इन-1 फ्लू टीकाकरण सर्वाधिक प्रभावी कदमों में से एक

रांची: इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 6 महीने से 5 साल तक की उम्र के बच्चों को हर साल टीका लगवाने का सुझाव दिया है। बच्चों में पूरे साल फ्लू का खतरा रहता है, विशेष रूप से सर्दियों में और मानसून में यह खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। टीकाकरण के बाद शरीर में एंटीबॉडी विकसित होने में करीब 2 हफ्ते का समय लग जाता है, इसलिए मानसून या सर्दियों का मौसम आने के 2 से 4 हफ्ते पहले टीका लगवा लेना चाहिए। 5 साल से कम उम्र के बच्चों में न केवल फ्लू के कारण ज्यादा परेशानी होने का खतरा रहता है, बल्कि वे अन्य लोगों को संक्रमित भी कर सकते हैं।
सालाना 4-इन-1 फ्लू टीकाकरण की जरूरत को लेकर डॉ. भव्य कुमार जैन, एमबीबीएस, डीसीएच ने कहा, ‘छह महीने से पांच साल के बच्चों में फ्लू होने पर स्वास्थ्य संबंधी गंभीर परेशानियां हो सकती हैं। लेकिन अब हमारे पास सालाना 4-इन-1 फ्लू टीकाकरण के रूप में इससे बचाव का एक प्रभावी तरीका है। अपने डॉक्टर से फ्लू के टीके के बारे में पूछें। माता-पिता के रूप में आप अपने बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा काम यह कर सकते हैं कि उन्हें फ्लू जैसे रोकथाम के लायक संक्रमणों से बचाएं। सर्दी के मौसम में आमतौर पर फ्लू के मामले बढ़ जाते हैं।’

फ्लू के लक्षण:

फ्लू इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है और यह नाक, गले व फेफड़े पर असर डालता है। इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं खांसी, बुखारी, गले में खराश, थकान, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द। संक्रमित लोगों के बोलने, छींकने या खांसने से वायरस आसानी से दूसरों में पहुंच सकता है। सांसों के साथ बाहर आने वाले ड्रॉपलेट प्रत्यक्ष तौर पर स्वस्थ लोगों तक पहुंच सकते हैं या किसी सतह पर गिरकर वहां से किसी अन्य को संक्रमित कर सकते हैं।


बच्चों में फ्लू के कारण न्यूमोनिया और ब्रोंकाइटिस का भी खतरा रहता है:

ज्यादातर लोग कुछ दिन या हफ्ते में ठीक हो जाते हैं, लेकिन 5 साल से कम उम्र के बच्चे, खासकर 2 साल से कम उम्र के बच्चे और जिन बच्चों को पहले से कोई गंभीर बीमारी हो, उनमें फ्लू के कारण बहुत ज्यादा बीमार पड़ने का खतरा रहता है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ सकता है। बच्चों में न्यूमोनिया और ब्रोंकाइटिस जैसी गंभीर परेशानियों का भी खतरा रहता है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं होता है।


भारत में 1 लाख में से करीब 10 बच्चों की इन्फ्लूएंजा के कारण मौत का खतरा रहता है:

अध्ययन बताते हैं कि भारत में सांस संबंधी गंभीर परेशानियों का सामना कर रहे 5 साल से कम उम्र के 11 प्रतिशत बच्चे फ्लू से संक्रमित होते हैं। भारत में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में इन्फ्लूएंजा के कारण जान गंवाने की दर भी ज्यादा है। भारत में 1,00,000 में से करीब 10 बच्चों में इन्फ्लूएंजा के कारण मौत का खतरा रहता है।

बच्चों को साल में एक बार टीका अवश्य लगवा देना चाहिए:

बहुत से फ्लू वायरस हैं जो संक्रमण का कारण बन सकते हैं। इन्हीं में से एक है एच1एन1 वायरस, जो ‘स्वाइन फ्लू’ श्रेणी का वायरस है। 4-इन-1 फ्लू टीका सबसे ज्यादा पाए जाने वाले चार वायरस वैरिएंट से बचने में मदद कर सकता है। इन वायरस में लगातार बदलाव होता रहता है। इसीलिए फ्लू के टीके की हर साल समीक्षा होती है और बीमारी का कारण बन रहे वायरस को ध्यान में रखते हुए जरूरत पड़ने पर इनमें बदलाव भी किया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि बच्चों को साल में एक बार टीका अवश्य लगवा देना चाहिए।

दिल व सांस बीमारी से जूझ रहें बच्चों को 5 साल के उम्र के बाद भी हर साल टीका लगवाना चाहिए: आईएपी:

आईएपी का सुझाव है कि दिल की गंभीर बीमारी, सांस संबंधी बीमारी जैसे अस्थमा, डायबिटीज, इम्यूनोडिफिशिएंसी (जैसे एचआईवी) या अन्य किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे बच्चों में फ्लू से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है और उन्हें 5 साल की उम्र के बाद भी हर साल टीका लगवाना चाहिए। ज्यादा जानकारी के लिए अभिभावकों को उनके बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।