अपहरण के एक मामले की पड़ताल में मोबाइल लोकेशन पर केकेएम कॉलेज परिसर पहुंची थी पुलिस
प्रभात मंत्र संवाददाता
पाकुड़-अपहरण के एक मामले की पड़ताल कर रही नगर थाना की पुलिस और आदिवासी छात्रों के बीच शुक्रवार की देर रात झड़प हो गई। जिसमें कम से कम 11 छात्र घायल बताएं जा रहे हैं। पुलिस और छात्रों के बीच इस झड़प में दो एएसआई, तीन जवान और पुलिस वाहन के एक चालक भी घायल बताए गए हैं।इस मामले में पुलिस की ओर से नगर थाना में दो प्राथमिकी दर्ज की गई है। दोनों प्राथमिकी को मिलाकर तकरीबन 150 अज्ञात छात्रों को आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने दर्ज प्राथमिकी में जहां छात्रों पर पुलिस टीम पर हमला करने एवं वर्दी फाड़ देने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। वहीं छात्रों की ओर से भी पुलिस पर आरोप लगाया गया है कि महेशपुर थाना क्षेत्र के गायबथान में जमीन विवाद में एक घटना को लेकर निर्धारित रैली नहीं निकालने का दबाव दिया जा रहा था। पुलिस की बात नहीं मानने पर छात्रों के साथ मारपीट की गई।
पुलिस का आरोप
नगर थाना में घटना को लेकर दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई है। पहला प्राथमिकी एएसआई नागेंद्र कुमार के द्वारा कराई गई है। एएसआई नागेंद्र कुमार के मुताबिक गश्ती के दौरान थाना प्रभारी की सूचना पर अपहरण के एक मामले की पड़ताल करती है। इसी दौरान अपहृत व्यक्ति के मोबाइल लोकेशन पर एएसआई नागेंद्र कुमार केकेएम कॉलेज के आदिवासी हॉस्टल परिसर पहुंचते हैं। जहां एक लड़का बैठा मिलता है और नागेंद्र कुमार लड़के से अपहरण मामले में किसी अज्ञात व्यक्ति के बारे में पूछते हैं तो बहस करने लगता है। आरोप है कि लड़के के द्वारा यह कहा जाता है कि बिना परमिशन के पुलिस कैसे घुस गई। इसी दौरान लड़का चिल्लाता है और 50-60 लड़कों को बुलाता है। लड़कों की भीड़ पुलिस पर हमला कर देती है। जिससे एएसआई नागेंद्र कुमार और चालक फरहाद आलम घायल हो जाते हैं। किसी तरह वहां से जान बचाकर भागते हैं। वहीं दूसरी प्राथमिकी एएसआई अभिषेक कुमार के द्वारा दर्ज कराई गई है। जिसके मुताबिक एएसआई अभिषेक कुमार एएसआई नागेंद्र कुमार के साथ हुई घटना की जांच करने हॉस्टल परिसर पहुंचते हैं। तभी लगभग 100 छात्र लाठी, डंडा, हॉकी स्टिक लेकर पहुंचते हैं और गाली गलौज करते हुए जान मारने की नीयत से हमला कर देते हैं। एएसआई अभिषेक कुमार का आरोप है कि छात्रों को बार-बार समझाने के बाद भी नहीं मानते हैं। इस हमले में खुद एएसआई अभिषेक कुमार सहित आरक्षी मोघो तिग्गा, संदीप शर्मा और सिकंदर बेसरा को गंभीर चोटें लगती है। अपने बचाव के लिए पुलिस की ओर से बल प्रयोग करने के बाद छात्रों के भागने का जिक्र किया गया है।
आदिवासी छात्रों का आरोप
आदिवासी छात्रों की ओर से भी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि छात्रों की ओर से खबर लिखे जाने तक पुलिस में लिखित शिकायत नहीं की गई थी। इधर सदर अस्पताल में इलाज करने पहुंचे आदिवासी छात्रों के बीच मौजूद छात्र नायक जीवन बास्की के मुताबिक महेशपुर के गायबथान में जमीन विवाद को लेकर जो घटना हुई थी, उसी सिलसिले में 27 जुलाई यानी शनिवार को शहर में रैली निकली जानी थी। जिसकी प्रशासन से बाकायदा अनुमति भी ली गई थी। उन्होंने बताया कि शुक्रवार की रात जब हम लोग खाना खा रहे थे, तभी दो पुलिस वाले पहुंचे और रैली नहीं निकलने के लिए कहने लगे। लेकिन हम लोग नहीं माने। इसके बाद रात करीब 11:30 बजे हम लोग सो गए। इसी बीच तकरीबन डेढ़ सौ की संख्या में पुलिस वाले पहुंचे और मारपीट करने लगे। उन्होंने कहा कि छात्रों के साथ बेरहमी से मारपीट की गई। किसी का हाथ टूट गया, तो किसी के सर पर गंभीर चोटें लगी।
पारंपरिक हथियार के साथ निकाली रैली
आदिवासी छात्रों की ओर से पारंपरिक हथियार के साथ शहर में रैली निकाली गई। केकेएम कॉलेज से नारेबाजी के साथ निकली रैली बस स्टैंड के रास्ते पार्क तक पहुंची। पार्क से नारेबाजी करते हुए शहर का भ्रमण किया। इस दौरान महेशपुर मामले को लेकर जबरदस्त नारेबाजी हुई। आदिवासियों की जमीन हड़पने वालों को फांसी दो, जैसे नारे लगाए गए। इसके अलावा कॉलेज की घटना को लेकर पाकुड़ पुलिस प्रशासन के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की गई। इस रैली में लड़कों के अलावा काफी संख्या में लड़कियां भी शामिल थी।
वर्दी की आड़ में छात्रों के साथ गुंडागर्दी- निर्मल मुर्मू
रैली में मौजूद दुमका कॉलेज के सहायक प्रोफेसर निर्मल मुर्मू ने कहा कि वर्दी के आड़ में छात्रों के साथ गुंडागर्दी की गई। पुलिस पर हम लोग भरोसा करते हैं और चैन की नींद सोते हैं। लेकिन चैन से सो रहे छात्रों पर ही पुलिस ने हमला कर दिया। जिसमें आधे दर्जन छात्र गंभीर रूप से घायल है और उन छात्रों को यहां से रेफर कर दिया गया है। कई छात्रों का सदर अस्पताल में इलाज चल रहा है। आदिवासी समाज इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। यह आक्रोश रैली आंदोलन की शुरुआत है। निर्मल मुर्मू ने कहा कि हम मांग करते हैं जिन पुलिस वालों ने घटना को अंजाम दिया है, उन पुलिस कर्मियों को सस्पेंड किया जाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार में राजनीतिक वोट बैंक के लिए ऐसी घटनाएं की जा रही है। पिछले 18 जुलाई को ही महेशपुर में आदिवासियों की जमीन पर ही समाज के लोगों के साथ मारपीट की गई और महिलाओं के साथ अत्याचार किया गया।
आक्रोश रैली को ले अलर्ट रही प्रशासन
आक्रोश रैली को लेकर प्रशासन अलर्ट रही। एसडीओ प्रवीण केरकेट्टा व एसडीपीओ डीएन आजाद, नगर थाना प्रभारी अनुप रौशन भेंगड़ा, मुफ्फसिल थाना प्रभारी संजीव कुमार झा सहित दर्जनों पुलिस पदाधिकारी एवं कर्मी रैली के आगे आगे चल रहे थे।