वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘फ्रैजाइल फाइव’ श्रेणी से बाहर निकालने के बाद श्वेत पत्र रखा गया है। निर्मला सीतारमण ने देश की अर्थव्यवस्था और लोगों के जनजीवन पर उसके प्रभाव पर श्वेतपत्र लोकसभा में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया। निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक ‘श्वेत पत्र’ लोकसभा में पेश किया था। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि श्वेतपत्र में 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट से निपटने के पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के तरीके और कोविड-19 के भयावह हालात से निपटने के मोदी सरकार के तरीकों की तुलना की गई है।
 
निर्मला सीतारमण ने दावा किया कि मोदी सरकार ने ‘राष्ट्र प्रथम’ रखकर संकट की स्थिति से देश को निकाला, पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के समय देश को प्रथम नहीं रखा गया, बल्कि उनके प्रथम परिवार को आगे रखा गया। उन्होंने कहा कि एक सरकार के 10 साल कुछ संकट के साथ और 10 साल एक अलग सरकार के 10 साल अलग संकट के साथ। इस ‘श्वेत पत्र’ में दिखाई गई तुलना स्पष्ट रूप से बताती है कि अगर सरकार इसे सच्ची ईमानदारी, पारदर्शिता और राष्ट्र को पहले रखकर संभालती है, तो परिणाम सबके सामने हैं। उन्होंने कहा कि जब आप राष्ट्र को पहले नहीं रखते, जब आप अपने परिवार को पहले रखते हैं, और जब आपके पास पारदर्शिता के अलावा अन्य विचार होते हैं, तो परिणाम आपके सामने हैं। तो 2008 के बाद जब वैश्विक वित्तीय संकट आया और उसके बाद जो कुछ हुआ, उससे स्पष्ट है कि यदि सरकार की मंशा ईमानदार है तो परिणाम अच्छे होंगे।

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