सिक्किम में बाढ़ से हुई भारी तबाही के बाद अब राहत एवं बचाव कार्य जारी है। सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत-बचाव कार्य में जुटी है। मलबे से अब तक 35 शव निकाले गए हैं। सेना के जवानों सहित कुल 105 लोग अभी भी लापता हैं। उनकी तलाश जारी है। वहीं भारतीय वायुसेना भी बचाव कार्य अभियान शुरू किया है। वायु सेना ने सात बच्चों समेत 77 पर्यटकों को लाचुंग से पाकयोंग हवाईअड्डे तक सुरक्षित पहुंचाया है। मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने सशस्त्र बलों के साथ राहत और बचाव कार्यों के लिए मुख्य सचिव, गंगटोक पहुंचे थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे और अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की।

हवाई निकासी भी शुरू

सेना के अनुसार ज्यादा तबाही वाले इलाके जैसे चातेन, लाचेन, लाचुंग और थांगु क्षेत्रों में स्थानीय लोगों और पर्यटकों की पहचान कर ली गई है। इसे लेकर सूची तैयार की गई है। जिसमें 2000 पर्यटक और 63 विदेशी नागरिक शामिल हैं। इनलोगों को सहायता दी जा रही है। वहीं अभी मौसम साफ हो चुका है। जिसे लेकर अब हवाई निकासी भी शुरू हो गई है। प्राकृतिक आपदा के कारण सिक्किम में फंसे लोगों को निकालने के लिए कोशिशें तेज हो गई हैं। कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के नेतृत्व में सोमवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) की बैठक में स्थिति की समीक्षा की गई। बैठक में कैबिनेट सचिव ने निर्देश दिया कि बादल फटने की घटना के बाद अलग-अलग स्थानों पर फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जाएं।

ल्होनक झील में बादल फटने से आई भारी तबाही
गौरतलब है कि 4 दिन पहले सिक्किम में ग्लेशियरी झील ल्होनक में बादल फटने से झील की 55 फीट ऊंची दीवार टूटी और उसका 66 फीसदी पानी नीचे की ओर बहा। बड़ी मात्रा में पानी के बहाव को चुंगथांग बांध बर्दाश्त नहीं कर सका और वह भी टूट गया। पलभर में उत्तरी सिक्किम के निचले इलाकों में 20 फीट तक पानी भर गया। सेना का एक कैंप पूरी तरह तबाह हो गया। घटना में सेना के कैंप से हथियार और गोला-बारूद भी बह गए हैं। सेना ने लोगों से इन्हें हाथ न लगाने की अपील की है। 

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