– रक्षा मंत्री ने अफीम की अवैध खेती नष्ट करने के लिए वायु सेना को दिए निर्देश

मणिपुर में मौजूदा संकट का तात्कालिक कारण राज्य के बहुसंख्यक मैतेई समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने की वजह से पहाड़ियों में बसी कुकी जनजाति का विरोध था। इस हिंसा के अन्य कारणों में पहाड़ी जनजातियों की आजीविका का नुकसान भी शामिल है, जो दशकों से अफीम की खेती पर ही निर्भर हैं। जातीय झड़पों से प्रभावित क्षेत्रों में से एक सीमावर्ती चुराचांदपुर शहर है, जहां 3 मई को हिंसा शुरू हुई थी। चुराचांदपुर से लगभग 60 किमी दूर म्यांमार के चिन राज्य के उत्तरी हिस्से में अफीम की खेती व्यापक पैमाने पर होती है।

मणिपुर की विशेष एंटी-ड्रग्स यूनिट नारकोटिक्स एंड अफेयर्स ऑफ बॉर्डर (एनएबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार ने 2017 से 2023 तक 18,664 एकड़ अफीम बागानों को नष्ट किया है। 2017-2022 में पांच साल के दौरान लगभग 14,359.4 एकड़ अफीम की खेती नष्ट की गई थी। इसी तरह 2022-23 में अब तक 4305 एकड़ अफीम की खेती नष्ट की जा चुकी है। अकेले 2022 में 3517.8 एकड़ में लगी अवैध अफीम की खेती को नष्ट किया जा चुका है। इस वर्ष मार्च तक 787.3 एकड़ अवैध अफीम की खेती नष्ट की गई। 2020 से अब तक 16 ग्राम प्रधानों, 62 अवैध अफीम की खेती करने वालों और 2 निवेशकों सहित 80 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अफीम की खेती का सर्वेक्षण करने और उसे नष्ट करने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और नारकोटिक्स एंड अफेयर्स ऑफ बॉर्डर (एनएबी) की एक संयुक्त समिति का गठन किया है। राज्य में ड्रग्स के खिलाफ युद्ध स्तर के अभियान को मजबूत करने के मकसद से दूर-दराज के उन इलाकों में रसायनों का छिड़काव करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है, जहां अधिकारियों की पहुंच आसान नहीं हो सकती है। अफीम की अवैध खेती नष्ट करने के लिए राज्य सरकार ने वायुसेना से भी सहयोग मांगा था, जिस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने निर्देश दिए हैं।

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