हजारीबाग। भारी लगन का वक्त चल रहा है। रोजाना मैरेज हॉल बुक दिख रहे हैं। ऐसे में फोटोग्राफर, वीडियोग्राफर, ईवेंट मैनेजमेंट का धंधा जोरों पर है। भीड़ ज्यादा होने की वजह से ये लोग हाई डिमांड में हैं। एकोनॉमिक्स के नियमानुसार डिमांड हाई होने पर इनके चार्ज भी बढ़ गए हैं। कोरोना के बाद ये लोग अपने बुरे हालात से उभरते दिख रहे हैं, मगर टैक्स की जम कर चोरी हो रही है। दरअसल इन धंधों से जुड़े ज्यादातर लोग बिना जीएसटी बिलिंग के धड़ल्ले से काम कर रहे हैं। जबकि नियमानुसार जीएसटी बिल ऐसे व्यवसायों में भी अनिवार्य है। एक अच्छे पार्टी में क्रेन, लाइव टीवी, पाँच से छः कैमरों का इस्तेमाल जरूर किया जाता है। इस तरह के आयोजनों मे तकरीबन 80,000 से 1,00,000 रुपयों का बिल बनाया जाता है। परंतु वो बिल कच्चा होता है। आसान भाषा में समझे तो बिना जीएसटी का। अब बिना जीएसटी के लेन-देन होने से सरकार को चुना लग रहा है। जीएसटी के माध्यम से सरकार तक पहुँचने वाला टैक्स के रूप में पैसा नहीं पहुँच रहा। यह गैरकानूनी तरीका है। खास बात यह है कि संबंधित अधिकारी द्वारा भी अभी तक इसपर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है।

जीएसटी क्यों दोनों पार्टियों के लिए जरूरी?

जीएसटी बिल के माध्यम से होने वाले लेन-देन दोनों ही पार्टियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी व्यवसाय से जुड़े एक फोटोग्राफर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दोनों पार्टियों को ये समझना चाहिए कि जीएसटी बिल होने पर आप दोनों एक दूसरे को करारनामे के अनुसार काम या भुगतान नहीं होने पर कतघरे में खड़े कर सकते हैं। यदि कोई फोटोग्राफर ने वो काम नहीं किया जिसका करार किया गया था तो वो बिल में उसे नहीं दिखा सकता जिससे आपके पैसे बच सकते हैं। वहीं यदि कोई पार्टी पैसे देने में आना कानी कर रहा है और आप जीएसटी बिल के साथ काम कर रहे हैं तो आपको कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई करने में आसानी होगी।

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