हजारीबाग। वैशाख का मास आते ही गर्मी ने अपनी दस्तक जैसे-जैसे देनी शुरू कर दी है।वैसे-वैसे पूरे प्रखंड क्षेत्र में पेयजल की समस्या गहराने लगी है। बरकट्ठा प्रखंड में 17 पंचायत है जिसमें सभी पंचायत में लगे लगभग सरकारी सभी चापाकल गर्मी आते ही हांफना शुरू कर दिये हैं। पेयजल संकट को लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए है। प्रखंड क्षेत्र के अधिकतर पंचायतों में नलकूप एवं सोलर जलमीनार खराब होने कि सूचना लगातार प्राप्त हो रही है। सबसे ज्यादा विकट समस्या प्रखंड क्षेत्र के पंचायत गोरहर स्थित सूदूरवर्ती आदिवासी बहुल गांव ज्वार, पहाडपुर, कुसहन आदि गांवों कि है। ओर इन गांवों में पेयजल संकट की बात की जाय तो पेयजल के दृष्टिकोण से इन गांवों में निवास करने वाले लोगों को आज भी पीने योग्य साफ पानी के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ओर लोग इस भीषण गर्मी में चुंआ के पानी पीने को मजबूर हैं।देश अमृत महोत्सव मना रहा है ओर आजादी के इतने वर्ष के बाद भी लोग विकास से कोसों दूर हैं। बताते चलें कि पहाडियों के तलहटी पर बसे ये बस्तियां प्रखंड कार्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर बसा है। जंहा लगभग तीनों गांव मिलाकर एक हजार कि आबादी में आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं। जंहा पहुंचने के लिए आज तक सडक़ का निर्माण नहीं किया गया है। गांव के शहदेव मरांडी ने बताया कि हमलोग इंसान तो चुंआ के पानी पीकर जीवन व्यतीत कर लेते हैं परतुं गर्मी के दिनों में मवेशियों को पानी पिलाने के लिए घोर समस्या उत्पन्न हो जाती है। गांव में एक छोटा तालाब है जो गर्मी में सूखने से भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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