
रांची। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी ने रांची में दस्तक दे दी है। इस बीमारी से ग्रसित साढ़े पांच साल की बच्ची को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बच्ची को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। इलाज कर रहे डॉक्टर ने बताया कि इस बीमारी से घबराने की जरुरत नहीं है, लेकिन सावधानी और समय पर इलाज एकमात्र बचाव का जरिया है। अब इस बीमारी के रोकथान को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी एक्शन मोड में आ गए हैं। हेमंत सोरेन ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी के रोकथाम को लेकर की जा रही तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि इस बीमारी के रोकथाम के लिए युद्ध स्तर पर कार्य शुरू कर दें। साथ ही जरुरत पड़े तो जांच की प्रक्रिया शुरू करें। सभी अस्पतालों में इसके उपचार को लेकर टीम को अलर्ट मोड पर रखें। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से ग्रसित बच्ची का इलाज कर रहे चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ राजेश ने कहा कि यह कोई रेयर बीमारी नहीं । गुइलेन-बैरे सिंड्रोम यानी जीबीएस ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इम्यून सिस्टम अपनी ही बॉडी की नसों पर अटैक करता है। इसकी वजह से मरीज को चलने-फिरने और सांस लेने में परेशानी होती है। इससे बच्चों और बुजुर्गों को खतरा है। राजेश ने बताया कि अगर किसी बच्चे या बुजुर्ग में चलने फिरने में परेशानी और कमजोरी की शिकायत दिखे तो फौरन डॉक्टर के पास पहुंचे। क्योंकि यह बीमारी बहुत तेजी से नसों पर अटैक करता है।
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