रांची । हर व्यक्ति को सम्मान, वित्तीय आजादी और सार्थक लक्ष्य के साथ जीवन जीने लिए अवसर पाने का अधिकार है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए फ्लिपकार्ट समर्पित कार्यक्रमों एवं समावेशी प्रक्रियाओं के माध्यम से दिव्यांगजनों को सार्थक अवसर देने के लिए प्रयासरत है। फ्लिपकार्ट ऐसे माहौल को बढ़ावा दे रहा है, जहां कर्मचारी अपनी वास्तविक प्रतिभा दिखाने में सक्षम हों। ऐसा करते हुए फ्लिपकार्ट व्यापक समावेश एवं सशक्तीकरण में योगदान दे रहा है। अपने इकोसिस्टम के महत्वपूर्ण भाग के तौर पर 2000 से ज्यादा दिव्यांग कर्मचारियों के साथ फ्लिपकार्ट ने समावेशी कार्यस्थल की दिशा में उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। पीडब्ल्यूडी हब (शारीरिक रूप से दिव्यांगजनों के लिए हब) स्थापित करना अयोग्यता पर योग्यता को वरीयता देने की फ्लिपकार्ट की प्रतिबद्धता को दिखाता है, जिससे ज्यादा समतामूलक एवं समावेशी भविष्य के निर्माण में मदद मिल रही है। इस अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के मौके पर फ्लिपकार्ट ने कुछ ऐसे लोगों के उल्लेखनीय एवं प्रेरणादायी सफर को सबके सामने रखा है, जिन्होंने मुश्किलों को मात देते हुए अपने लिए आजादी एवं आत्मसम्मान का रास्ता तैयार किया है। सुनील कुमार, वेंकटेश और रविंदर जैसे डिलीवरी एक्जीक्यूटिव्स की इन प्रेरक कहानियों के माध्यम से हम फ्लिपकार्ट की विभिन्न पहल के प्रभाव को समझ सकते हैं।
सुनील कुमार: संघर्ष से स्थायित्व तक का सफर
सुनील कुमार पोलियो के शिकार हैं और कोविड-19 महामारी के दौरान होटल लॉन्ड्री में अपनी नौकरी चली जाने के बाद से स्थायी नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। परिवार के सहयोग से उन्होंने मुश्किल वक्त का सामना किया। उसी दौरान एक एनजीओ वॉलंटियर ने दिव्यांगों को नियुक्त करने की फ्लिपकार्ट की पहल के बारे में उन्हें बताया। हर सुबह वह अपनी डिलीवरी असाइनमेंट्स को चेक करते हैं और औसतन 70-80 डिलीवरी का लक्ष्य लेकर चलते हैं। बिग बिलियन डेज जैसे विशेष मौकों पर सुनील ने 100 से ज्यादा डिलीवरी करने की चुनौती ली और गर्व एवं दृढ़ता के साथ उसे पूरा किया। सुनील कहते हैं, ‘मुझे फ्लिपकार्ट में सबसे ज्यादा यहां का समावेशी माहौल पसंद आता है, जहां मेरे टीम लीड एवं मैनेजर्स भी दिव्यांग हैं और अपनी मेहनत से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। इससे मुझे उम्मीद है कि एक दिन मैं भी ऑफिस में रहकर काम करने वाली भूमिका तक पहुंच सकता हूं। अन्य लोगों के लिए मेरा संदेश स्पष्ट है: अपनी अक्षमता को अपने रास्ते की बाधा न बनने दें। स्वयं पर विश्वास करें और पहला कदम उठाएं। इस तरह के अवसर आपका जीवन बदल सकते हैं।’
वेंकटेश: गांव के सपनों से शहर में सफलता तक का सफर
21 साल के वेंकटेश कर्नाटक के एक अंदरूनी गांव संकेश्वर टांडा के रहने वाले हैं। पोलियो का शिकार होने के कारण उनके पास सीमित अवसर थे। कॉल सेंटर एवं होटल्स में कम वेतन वाली नौकरियों में संघर्ष करते हुए वह कुछ बेहतर की तलाश कर रहे थे। उसी दौरान फ्लिपकार्ट में काम करने वाले उनके एक दोस्त ने उन्हें यहां दिव्यांगों के लिए अवसर के बारे में जानकारी दी। मन में कुछ शंकाओं के बावजूद वेंकटेश ने प्रयास करने का निर्णय लिया। फ्लिपकार्ट में मिले प्रशिक्षण एवं समर्थन से उन्हें चुनौतियों को पार करने और बेहतर भविष्य की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिली।
अभी बेंगलुरु में डिलीवरी पार्टनर के रूप में काम कर रहे वेंकटेश को फ्लिपकार्ट की तरफ से रहने की व्यवस्था मिली है, साथ ही एक वाहन भी दिया गया है। यहां वह स्थायी आय पा रहे हैं। वह तनावमुक्त और एक-दूसरे का सहयोग करने के यहां के माहौल की कद्र करते हैं। वह कहते हैं, ‘यहां किसी को अव्यावहारिक लक्ष्य नहीं दिया जाता है। मैं अपना काम अच्छे से करने और ग्राहकों से जुड़ने पर फोकस करता हूं।’
अन्य दिव्यांगजनों को संदेश देते हुए वह कहते हैं, ‘अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलें। बाहर अवसरों की दुनिया आपका इंतजार कर रही है। अपनी क्षमताओं पर विश्वास करें और प्रयास करने से न घबराएं।’
रविंदर का सफर: उम्मीद और नई शुरुआत
40 साल के रविंदर झारखंड के अंबेरा गांव के रहने वाले हैं। खेती और एक इंश्योरेंस कंपनी में पार्ट-टाइम जॉब के साथ उनका जीवन सही दिशा में बढ़ रहा था। तभी 2015 में एक फुटबॉल दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के कारण उन्हें करीब 2 साल बिस्तर पर रहना पड़ा था। उनकी नौकरी चली गई और उन्हें वित्तीय अनिश्चितता का सामना करना पड़ा। ठीक होने के बाद वह फिर से खेती में जुटे लेकिन स्थायित्व के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा था। उसी बीच उनके जीवन में एक बदलाव आया, जब गांव के एक युवक ने उन्हें फ्लिपकार्ट में रोजगार के अवसर के बारे में जानकारी दी। शुरुआत में उनके मन में थोड़ा संदेह था। रविंदर फ्लिपकार्ट के बारे में बहुत कम ही जानते थे। उन्हें बस यही पता था कि लोग ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं और वह ऑर्डर उन तक पहुंचा दिया जाता है।
एक आंख से कम दिखाई देने की समस्या के बाद भी रविंदर फ्लिपकार्ट में डिलीवरी एक्जीक्यूटिव के रूप में अपना काम पूरे समर्पण के साथ करने के लिए तैयार थे। स्थायी आय की संभावना ने उन्हें इसके लिए प्रेरित किया था। 20 किलोमीटर का सफर करके वह लोहरदगा में टीम लीडर से मिलने पहुंचे। हफ्तेभर का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्होंने जल्द ही काम शुरू कर दिया।
आज रविंदर का दिन सुबह 6 बजे शुरू हो जाता है। वह सुबह उठकर पार्सल को व्यवस्थित करते हैं और अपने ग्रामीण क्षेत्र में रोजाना 50 से 60 डिलीवरी करते हैं। यहां से मिलने वाली सतत आय ने उन्हें स्थायित्व दिया है, उनके परिवार की स्थिति को सुधारा है और उन्हें उम्मीद दी है। वह कहते हैं, ‘जब तक मैं सक्षम हूं, यहां काम करता रहूंगा। फ्लिपकार्ट ने मेरे जीवन को उतना बेहतर कर दिया है, जितनी मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी।’
अपने समर्पित कार्यक्रमों के माध्यम से फ्लिपकार्ट सार्थक रोजगार दे रहा है और ऐसी संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है, जहां कर्मचारियों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए सशक्त किया जाता है।
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