Monday, July 22, 2024

प्रभात मंत्र

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रोते-विलखते-सिसकते लोहरदगा का आंसू आखिर कौन पोछेगा ?

25 Feb 2023


प्रभात मंत्र (लोहरदगा) : पूरे देश में बॉक्साइड उत्पादन के लिए मशहूर लोहरदगा जिले में एक भी बॉक्साइड आधारित उद्योग की स्थापना नहीं होना, सचमुच चिंता का विषय है। यहां के सांसद व विधायक मालामाल होते चले गए और लोहरदगा कंगाल बनता चला गया। आलम यह है कि यहां के किसान सिंचाई साधनों के बिना तिल-तिल कर मर रहे हैं। युवा रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं। यहां की विकास योजनाएं अधिकारियों के लिए कामधेनु के समान है। लोहरदगा में एक लोकसभा और एक विधानसभा क्षेत्र है। लोहरदगा जिला का क्षेत्रफल लगभग 15 सौ वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। जिले में कांग्रेस और भाजपा ने राज किया। यहां 40 वर्षों तक भाजपा ने राज किया। भारतीय जनता पार्टी ने 1989 में ललित उरांव चुनाव जीतकर लोहरदगा से लोकसभा में पहुंचे।। इन्होंने अपने 2 टर्म का कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद कांग्रेस के इंद्रनाथ भगत सांसद बने। पुनः भाजपा के सांसद प्रो दुखा भगत लोहरदगा के सांसद बने। इन्होंने अपने संसदीय कोष से भक्सो कोयल नदी में पुल का निर्माण कराकर इतिहास रचा। इसके लिए दुखा भगत को सम्मानित भी किया गया। इसके बाद काग्रेस से डॉ रामेश्वर उरांव 2004 से 2009 तक सांसद रहे। फिलहाल लोहरदगा से वे विधायक सह मंत्री हैं। वही विधायक पद पर साधनु भगत, सुखदेव भगत, कमल किशोर भगत रहे। राज्य में भाजपा और आजसू के गठबंधन की भी सरकार बनी। कई नेताओं ने अपने बल पर जीत का परचम भी लहराया। सुदर्शन भगत लोहरदगा के सांसद लगातार तीन बार रहे। तीसरी चुनाव जीतकर वर्तमान समय में भी वे बने हुए है। सुदर्शन भगत एक ऐसे नेता हैं जो ना की भाजपा में ही बल्कि दूसरे दलों में भी उनकी इज्जत है। लोहरदगा में इतने सांसद और विधायक बनने के बाद भी जिला की स्थिति जैसी की तैसी बनी हुई है। विकास के मामले में लोहरदगा जिला काफी पीछे है। लोहरदगा बॉक्साइट खनन के मामले में झारखंड राज्य का पहला जिला है, जिसे भी आज तक विकसित नहीं किया जा सका। जिले में हजारों लाखों टन बॉक्साइट दूसरे राज्य को भेजा जाता है। यह जिला एक कृषि प्रधान जिला है। जिसमे 80 प्रतिशत लोग खेती कर अपना जीविका चलाते है। यहाँ के लोगो को हिंडाल्को से उम्मीद थी लेकिन वह भी पूरा नहीं हुआ। आज तक किसी सरकार ने भी इस बारे में नहीं सोचा। लोहरदगा जिला में बॉक्साइट की फैक्ट्री का निर्माण किया गया होता तो जिले की परिस्थिति और गरीबी दोनो को सुधारा जा सकता था। किसी ने भी जिले के परिस्थितियों की ओर ध्यान नहीं दिया और गरीब जनता पिसती चली गई। जिले में कुछ का कार्यकाल ऐसा भी रहा, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गतियां थोड़ी तेज हुई। परंतु जैसे-जैसे सरकार आती गई व जाती गई, वैसे-वैसे विकास की गति कभी कम - कभी ज्यादा होती रही। जिले से होकर दो राष्ट्रीय राजमार्ग भी गुजरती है। दक्षिणी भाग में छत्तीसगढ़ और उड़ीसा को जोड़ने का काम करती है। परंतु अभी तक सड़क की स्थिति को भी दुरुस्त नहीं किया जा सका है। झारखंड के अन्य जिला जैसे बोकारो,धनबाद, जमशेदपुर जैसे बहुमूल्य इलाके आज ऐसी स्थिति पर है कि लोग अपनी गरीबी और लाचारी से मुक्त जीवन जीते है। जनता विकाश नाम पर सरकार बनाती है। मगर यह देखने को नही मिल पाता। जिसकी खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। झारखंड अलग होने के बाद जितने भी सांसद और विधायक बने, सभी जिले के ही जन्मभूमि में पले और बढे हैं। मगर किसी ने भी इस जन्म भूमि को तरक्की के बुलंदी पर ले जाना नहीं चाहा। जिसकी तस्वीर आज जगह-जगह देखने को मिलती है। झारखंड अलग होने से पहले लगातार 40 साल तक यहां कांग्रेस ने राज किया जिस समय कोई अन्य पार्टियों मजबूत स्थिति में नहीं थी। उस समय अगर सरकार चाहती तो लोहरदगा को चमकाया जा सकता था। परन्तु यह काम भी नही हो पाया है। वर्तमान सरकार और यहां के सासंद-विधायक को इस पर विचार किया जाना चाहये ताकि लोगो की धुंधली जीवन मे रौशनी मिल सके।