Wednesday, July 3, 2024

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आजसू या कांग्रेस : कौन जीतेगा रामगढ़ का रण?

23 Feb 2023


•मिशन 2024 का दिशा व दशा तय करेगा रामगढ़ का उपचुनाव

•रविन्द्र उपाध्याय-संपादक @ प्रभात मंत्र

महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंकने वाले, अलग झारखंड राज्य के लिए आक्रामक लडाई लड़ने वाले, हड़िया-दारु का बहिष्कार करने वाले एवं आदिवासी समाज में शिक्षा का अलख जगाने वाले दिशोमगुरू शिबू सोरेन एवं राज्य के युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह जिला रामगढ़ में अभी राजनीति का पारा पूरे परवान पर है। क्योंकि यहां उपचुनाव हो रहा है। रामगढ़ भले ही छोटा जिला है लेकिन राजनीतिक दृष्टिकोण से इस जिले की महता सबसे ज्यादा है। पहला तो यह कि राज्य के महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्ती सोरेन परिवार का पैतृक गांव रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में है।
दूसरा यह कि आंदोलन के गर्भ से पैदा हुए आजसू पार्टी का भी राजनीतिक प्रतिष्ठा रामगढ़ से जुड़ा हुआ है। यहां से चंद्रप्रकाश चौधरी आजसू के टिकट पर लगातार तीन बार चुनाव जीतकर इतिहास रचने में कामयाब रहे हैं। तीसरा यह कि अलग झारखंड बनने के बाद राज्य में पहला उपचुनाव रामगढ़ में ही हुआ था। इसी रामगढ़ से चुनाव जीतकर बाबूलाल मरांडी विधानसभा में पहुंचे थे और राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री का तगमा उन पर लगा था।

इसलिए रामगढ़ की धरती से राज्य के महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्तियों का पुराना नाता- रिश्ता रहा है। 22 वर्षों के बाद यहां उपचुनाव कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी को न्यायिक सजा होने के बाद हो रहा है। कांग्रेस ने ममता के पति बजरंग महतो को टिकट दिया है। कांग्रेस यूपीए का महत्वपूर्ण राजनीतिक साझेदार है। इस चुनाव में यूपीए का पूरा कुनबा जी जान से जुटा हुआ है। यूपीए के तीनों घटक दल कांग्रेस, जेएमएम व राजद के नेता अपने प्रत्याशी को जीतने में लग गए हैं। सीएम भी कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में जमकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

इधर यहां से एनडीए के प्रत्याशी आजसू नेता व सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी प्रत्याशी हैं। श्री चौधरी 14 वर्षों तक लगातार यहां के विधायक रहे हैं। इसलिए आजसू सहित भाजपा का भी यहां राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर है। यही कारण है कि आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो एनडीए प्रत्याशी सुनीता चौधरी के पक्ष में लगातार चुनावी दौरा कर रहे हैं। उनके साथ बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के अलावा कई सांसद-विधायक भी सुनीता चौधरी के पक्ष में जुटे हुए हैं। यहां के विधायक भाजपा के बड़े नेता बाबूलाल मरांडी भी रह चुके हैं। इसलिए पार्टी ने उन्हें विशेष रूप से चुनाव प्रचार के लिए यहां उतारा है।

यह चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। दीगर बात यह है कि 2019 में यूपीए की सरकार बनने के बाद राज्य में चार विधानसभा सीटों दुमका,बेरमो, मधुपुर और मांडर में उपचुनाव हुआ और इन सभी सीटों पर सत्तारूढ़ गठबंधन ने जीत दर्ज की. यह पांचवां उपचुनाव भी सत्तारूढ़ दल के लिए काफी अहम है। एनडीए भी इस उपचुनाव में कोई कसर छोड़ने के मूड में नहीं है।

रामगढ़ का यह उपचुनाव जहां यूपीए यानी झारखंड सरकार के कामकाज का आकलन करेगा वहीं एनडीए का राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा। मिशन 2024 के पहले यह उपचुनाव एनडीए व यूपीए के लिए सेमीफाइनल है। इसलिए दोनों ही घटकों के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है।