06 Jan 2023
पारंपरिक नृत्य में मांदर के थाप पर थिरके पुलिस पदाधिकारी, लोगों का बढ़ाया उत्साह
मक़सूद आलम@प्रभात मन्त्र
पाकुड़-पुलिस केंद्र में शुक्रवार को सोहराय पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। आदिवासी समाज का महत्वपूर्ण और सबसे बड़े पर्व में शामिल सोहराय को लेकर गजब का उत्साह दिखा। जिसमें पुलिस पदाधिकारियों के साथ-साथ समाज के लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होकर समाज के लोगों ने खूब मस्ती की। पारंपरिक नृत्य में मांदर के थाप पर थिरकते नजर आए। पारंपरिक वेषभूषा में नृत्य का जमकर आनंद उठाया। महिला, पुरुष एवं बच्चें सामुहिक नृत्य में जमकर थिरके। पर्व में मुख्य अतिथि के रूप में पुलिस अधीक्षक हृदिप पी जनार्दन सहित पुलिस उपाधीक्षक बैजनाथ प्रसाद, सार्जेंट मेजर अवधेश कुमार, एसडीपीओ अजीत कुमार विमल शामिल हुए। अतिथियों ने फीता काटकर पर्व का विधिवत उद्घाटन किया। पूजा अर्चना के साथ पर्व की शुरुआत हुई। पूजा अर्चना को लेकर कार्यक्रम स्थल पर गॉड टंडी बनाया गया था। पुलिस अधीक्षक एवं अधिकारियों ने गॉड टंडी में पूजा अर्चना कर देवी देवताओं को माथा टेका और आशीर्वाद प्राप्त किया। पूजा अर्चना का कार्य नायकी एवं जोगा मांझी के द्वारा संपन्न कराया गया। इसके पश्चात पुलिस अधीक्षक, उपाधीक्षक, सार्जेंट मेजर एवं एसडीपीओ ने कबूतर को उड़ा कर शांति का संदेश दिया।
मांदर के थाप पर थिरकते नजर आए पुलिस पदाधिकारी
आयोजित पारंपरिक नृत्य में पुलिस पदाधिकारी मांदर के थाप पर थिरकते नजर आए। पुलिस अधीक्षक हृदिप पी जनार्दन, सार्जेंट मेजर अवधेश कुमार, पुलिस उपाधीक्षक बैजनाथ प्रसाद एवं एसडीपीओ अजीत कुमार विमल पारंपरिक नृत्य में शामिल हुए। आदिवासी महिलाओं के सामुहिक आकर्षक व पारंपरिक नृत्य में शामिल होकर उत्साह बढ़ाया। पुलिस पदाधिकारियों ने पारंपरिक आदिवासी वस्त्र पंछी पहनकर मांदर लिए नृत्य का लुत्फ उठाया।
आदिवासी सभ्यता और संस्कृति की पहचान है सोहराय पर्व
पुलिस अधीक्षक हृदिप पी जनार्दन ने मौके पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए सोहराय पर्व की बधाई दी। उन्होंने कहा कि सोहराय पर्व आदिवासी सभ्यता और संस्कृति की पहचान है। सोहराय पर्व प्रकृति एवं पशु प्रेम का प्रतीक है। इस तरह के आयोजन से आदिवासी समाज की परंपरा और संस्कृति की झलक सौभाग्य से देखने को मिलता है। आदिवासी समाज में सोहराय पर्व की काफी अहमियत होती है। यह पर्व पशुओं के प्रति प्रेम को बढ़ाता है। भाई-बहन के अटूट प्रेम को भी बढ़ावा मिलता है। इस पवित्र पर्व में पशुओं की खासतौर पर पूजा होती है। भाई बहनों को विशेष रुप से आमंत्रित कर घर लाते हैं। पुलिस अधीक्षक ने यह भी कहा कि सोहराय पर्व प्रकृति के प्रति प्रेम की भावना को जगाता है। प्रकृति से जुड़े इस पर्व के दौरान समाज की जो संस्कृति और परंपरा की झलक दिखती है, वह इंसान को सभ्य बनाने का काम करती है। इंसानों में प्रकृति और पशुओं के प्रति प्रेम की भावना को जगाता है।
आयोजन में इनकी रही सराहनीय भूमिका
पर्व के आयोजन में किशोर हांसदा, कनक बास्की, प्रकाश सोरेन, नरेंद्र मरांडी, नरेश मरांडी, धीरेंद्र मुर्मू, रघु मुर्मू, मनोज कुमार टुडू, सनत सोरेन, सनातन मांझी, सावन कुमार मुर्मू, गोसाई किस्कू, नारायण किस्कू आदि की सराहनीय भूमिका रही।