परवेज कुरैशी
रांची। पांच और छह अप्रैल 2011 को झारखंड की राजधानी और नगर निगम वार्ड 16 व 17 इस्लामनगर जहां झोपड़पट्टी में जिंदगी बसर करने वाले गरीबों को एकाक बुलडोजर चलाकर उजाड़ दिया गया था।इस जद्दोजहद के 14 साल बाद आखिर मुख्यमंत्री के हेमंत सोरेन के नेतृत्व में आसियाना मिलने जा रहा है। बताया गया कि इस्लाम नगर के लोगों को लंबे इंतजार के बाद आखिरकार 7 अक्टूबर 2024 को विधिवत ध्रुर्वा स्थिति स्मार्ट सिटी से इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों होना है। रांची नगर निगम के सहायक प्रशासक ने उद्घघाटन की सूचना जारी की है। जारी सूचना में कहा गया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) तृतीय घटक अन्तर्गत इस्लाम नगर एएचपी “ के नवनिर्मित आवसों का उद्घाटन कार्यक्रम 07.10.2024 को होगा। धुर्वा स्थित रांची स्मार्ट सिटी के एरिया बेस्ड डेवलपमेंट क्षेत्र में इसको लेकर कार्यक्रम निर्धारित की गयी है।
पांच अप्रैल 2011 को क्या हुआ था:
पांच और छह अप्रैल 2011 दो दिन जिला प्रशासन एवं रांची नगर निगम की ओर से अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया था। वर्षों से बांस बल्ली के सहारे बने गरीबों की आशियाने को उजाड़ दिया गया था। अभियान के तहत इसलामनगर के लगभग 1175 से अधिक बसें बसाये परिवारों का आशियाना उजड़ गया था। विरोध करने वाले में कई लोग घायल हुए और पुलिस की गोली से दो युवकों गोल्ड और गुड्डू की मौत हो गई थी।
मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की सरकार थी:
तब राज्य के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो और हेमंत सोरेन थे। नगर निगम महापौर रमा खलखो,उप महापौर अजयनाथ शाह देव,वार्ड 16 नजमा रजा, वार्ड 17 के पार्षद सलौद्दीन संजू थे। इस्लामनगर में दोनों वार्ड के लोग बसे हैं। उपायुक्त केके सोन थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की भाजपा सरकार में इस्लामनगर के विस्थापितों के लिए
जी प्लस श्री मल्टीस्टोरिज बिल्डिंग तैयार किया गया था, उम्मीद थी की रघुवर सरकार में ही विस्थापितों के सपने साकार होंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार में विस्थापितों का यह सपना पूरा होने जा रहा है।
याचिकाकर्ता ने हैं:
इस्लाम नगर टूटने के बाद हमदर्द कमेटी से याचिकाकर्ता मो शकील सामने आये और झारखंड हाईकोर्ट पहुंचे। राज्यसभा सांसद परिमल नाथवाणी ने बस्तीवालों को बचाने के लिये अपना सहयोग दिया। हाईकोर्ट में याचिका दायर की। फिर इस्लामनगर वासियों ने केस जीता। उसके बाद तत्कालीन आयुक्त केके सोन ने सर्वे करा कर 1175 से 444 इस्लाम नगर वासियों की सूची तैयार की गई जो विस्थापित हो गये थे। लेकिन 291 लोगों के लिये फ्लैट तैयार किया गया चिन्हित 153 विस्थापितों को इस सुविधा से वंचित रखा गया।
6 एकड़ 9 डीसमील जमीन को लेकर था विवाद:
कोर्ट में इस्लामनगर विस्थिपित थे तो दूसरी ओर पॉलिटेक्निक जिसकी हार हुई। लगभग 6 एकड़ 9 डीसमील जमीन को लेकर विवाद पैदा हुआ था।अभी 3 एकड़ जमीन में विस्थापित पुनर्वास निति के तहत 291 लोगों के लिये तीन एकड़ जमीन पर बने लगा 33 करोड़ की योजना राशि से जी प्लस श्री मल्टीस्टोरिज बिल्डिंग तैयार की गई है जिस आवंटित किया जाना है। लेकिन इस 291 में इस्लाम नगर में जिन गंवाने वाले मृतक गुड्डू और गोल्डन के परिवार पूरी तरह से वंचित रह गये। 291 में अब किसी कारणवश सिर्फ 288 लाभुकों को आवास मिलेगा। ये सभी ने पचास हजार करके राशि का भुगतान किये हैं।
किसने क्या कहा:
हमदर्द कमेटी के मो शकील ने बताया
माननीय न्यायालय के आदेश पर इस्लामनगर के विस्थापितों में 1175 आवेदन जिला प्रशासन को दिया गया था। जिला प्रशासन द्वारा सत्यापन के उपरांत 444 विस्थापितों को आवास देने की स्वीकृति प्रदान की थी, लेकिन नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त द्वारा 291 विस्थापितों का लॉटरी कराया गया। नगर निगम के आरएमसी एएचपी इस्लाम नगर रांची नाम से पीएमएवाई कोषांग में विस्थापितों ने अंशदान 50,000 रुपये जमा भी कराने के बाद आवास मिलने जा रहा है।
बाकी विस्थापितों को भी आवास दिया जाए:
वार्ड 16 की निवर्तमान पार्षद नजमा रजा ने कहा कि लंबे संघर्षों के बाद आज इस्लामनगर वासियों का सपना पूरा होने जा रहा है, जो विस्थापित हुए थे, उसे आवास मिल रहा है। 291 विस्थिपितों को चिन्हित करके आवास दिया जा रहा है , जिसमें किसी कारणवश अब 288 विस्थापितों बचे हैं उसे ही आवंटित होगी। मैं सरकार से मांग करती हूं कि सभी विस्थापितों को भी सूची में शामिल किया जाए । 6 एकड़ 9 डीसमील जमीन है, 3 एकड़ जमीन पर फ्लैट बनाकर आवंटित क्या जा रहा है, तीन एकड़ छह डीसमील जमीन अभी भी है इस पर भी बचे बाकी सभी विस्थापितों को फ्लैट बनाकर आवंटित किया जाए।
पूर्व पार्षद ने कहा बचे विस्थापितों को भी मिले घर:
वार्ड 17 के पूर्व पार्षद सलाउद्दीन उर्फ संजू ने कहा कि 1175 से अधिक लोगों का घर जिसे तोड़ा गया था । हमलोगों ने बहुत विरोध किये इसके बाद अब 444 विस्थापितों का सर्वे करके 291 विस्थापितों को पुनर्वास निति के तहत आवास दिया जा रहा है। लेकिन बाकी बचे विस्थिपितों को भी शामिल किया जाए जो लंबे समय से इस्लामनगर में बसे थे, लेकिन उसे विस्थापित सूची में शामिल नहीं करना और आवास नहीं मिलना दुखद है , उम्मीद करते हैं उन विस्थापितों को भी चिन्हित करके सरकार आवास आवंटित करायेगी, मृतक गुड्डू और गोल्डन के परिवार को भी सरकार आवास दें।