September 27, 2024

सेक्शन 19 लगने की प्रक्रिया पूरी, सरकार के खाते में रैयतों के लिए जमा हुए 478 करोड़ रुपए*

  • बड़कागांव के बलोदर में 91.35 एकड़, गोंदुलपारा में 285.715 एकड़, गाली में 175.45 एकड़ जमीन और चंदौल में 161.99 एकड़ का होना है अधिग्रहण
  • खनन परियोजना से जिले में पैदा होंगे करीब 10 हजार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर
  • राज्य को मिलेगा प्रतिवर्ष लगभग 500 करोड़ रुपए का राजस्व

बड़कागांव (हजारीबाग)। गोंदुलपारा खनन परियोजना के तहत सेक्शन 19 लगाए जाने की प्रक्रिया पूरी हो गई है, जो खनन शुरू होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कदम से झारखंड में एक और खदान खुलने का रास्ता साफ हो गया है। इसके तहत मुआवजे की राशि प्रति एकड़ 24,56,986 रुपये होगी। इसके अलावा स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इस परियोजना से जिले और राज्य को लगभग 500 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष का राजस्व मिलने से प्रशासन अनेक लाभप्रद और कल्याणकारी कार्यक्रम शुरू कर सकेगा। परियोजना से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए चंदौल गांव में 161.99 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना है। इसके लिए हजारीबाग समाहरणालय में रैयतों को मुआवजे के रूप में दी जाने वाली 478 करोड़ रुपए की राशि जमा कर दी गई है।

झारखंड में 199 कोयला खदानें सालाना 15.6 करोड़ टन कोयला उत्पादित करते हुए देश की प्रगति और ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। देश में बढ़ रही निरंतर और किफायती बिजली की जरूरत के लिए कोयला खनन परियोजना का शुरू होना आवश्यक है। इसके साथ ही खनन आधारित अर्थतन्त्र वाले राज्य में एक और खनन परियोजना शुरू होने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। गोंदुलपारा परियोजना की प्रक्रिया के तहत बड़कागांव के बलोदर में 91.35 एकड़, गोंदुलपारा 285.715 एकड़, गाली में 175.45 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। इसके चलते स्थानीय लोगों को अनेक लाभ मिलेंगे।

जमीन के बदले क्या मिलेगा?

  • रैयतों को प्रति एकड़ भूमि के मुआवजा के रूप में 24,56,986 रूपये (गुणाक घटक-2, सांत्वना राशि 100 प्रतिशत एवं तीन वर्ष की ब्याज की राशि सहित) दिए जाएंगे।
  • भूमि पर स्थित परिसम्पतियों का भी मुआवजा मिलगा। इसके लिए राज्य सरकार का संबंधित विभाग उन सम्पत्तियों का मूल्यांकन करेगा, जिसके बाद उस राशि का दुगुना मुआवजा के रूप में दिया जाएगा।
  • विस्थापित परिवारों को तीन विकल्पों का लाभ मिलेगा, जिसके तहत वो कोई एक चुन सकते हैं।

विकल्प एक के तहत 10 लाख रुपए प्रति परिवार मिलेगा, जिससे वे खुद कहीं और निवास करने जा सकते हैं। नियमानुसार, प्रति परिवार में पति, पत्नी और उनके अवयस्क बच्चे शामिल होंगे। इसके अलावा परिवार में अगर 18 साल से ऊपर विवाहित या अविवाहित व्यक्ति हैं, तो उन्हें एक परिवार के रूप में माना जाएगा।

दूसरे विकल्प के तहत पुनर्वास कॉलोनी में बना बनाया नया मकान दिया जाएगा और तीसरे विकल्प के तहत पुनर्वास कॉलोनी में जमीन का एक प्लॉट दिया जाएगा और पुनर्वास कॉलोनी में मकान के बदले सात लाख रुपए दिए जाएंगे।

मिलेंगे रोजगार के अनेक अवसर

विस्थापित होने वाले परिवारों को रोजगार के भी अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे, जिसके तहत प्रभावित परिवार अपनी प्राथमिकता के अनुसार रोजगार, मुआवजा और प्रति महीने भुगतान में से एक को चुन सकते हैं। प्रभावित परिवारों और प्रशासन के साथ परामर्श कर नियमानुसार तय किए हुए मुआवजे की रूपरेखा प्रभावित परिवार के एक सदस्य को समुचित प्रशिक्षण और कौशल विकास करने के बाद उनकी योग्यता एवं कम्पनी की आवश्यकता अनुसार नौकरी का प्रावधान है। इसके बदले प्रभावित परिवार एक मुश्त पांच लाख रूपये ले सकते हैं या फिर 20 वर्षों तक दो हजार रूपये प्रतिमाह भुगतान का चयन कर सकते हैं।

जीवन-यापन समेत अन्य कार्यों के लिए भी मिलेंगे रुपए

  • विस्थापित कुटुंबों (रैयत) को एक वर्ष की अवधि तक जीवन यापन के लिए अनुदान के रूप में हर महीने तीन हजार रुपए मिलेंगे।
  • विस्थापन के दौरान पुनर्वास भत्ते के रूप में 50 हजार रुपए, परिवहन खर्च के तहत 50 हजार रुपए और पशुबाड़ा के लिए भी अलग से 35 हजार रुपए (यानि 1,45,000 रुपए) प्रति परिवार दिया जाएगा।
  • कारीगरों, छोटे व्यापारियों, छोटी दुकान या स्वनियोजित व्यक्ति के प्रत्येक प्रभावित परिवार को पच्चीस हजार रूपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता मिलेगी।
  • प्रभावित परिवारों को आवंटित जमीन या मकान के निबंधन के लिए स्टांप शुल्क और अन्य शुल्क खननकर्ता की ओर से दिए जाएंगे और आवंटित मकान के लिए भूमि पर कर नहीं लगेगा। यह उल्लेखनीय है कि जमीन या मकान पत्नी और पति दोनों के संयुक्त नाम में हो सकेगा।
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