रांची। बात किसी और धर्म विशेष के प्रचार की नहीं है। हम भारत के लोग हैं और संविधान की प्रस्तावना में ही धर्मनिरपेक्ष शब्द लिखा है। लेकिन, आप 75 सालों तक आदिवासियों से उनके धर्म की पहचान नहीं छीन सकते। वे धर्म के कॉलम में ‘अन्य’ शब्द कब तक लिखेंगे। इसलिए मैंने यह बंडी पहन कर पुरस्कार लेने का निर्णय लिया था। इसके लिए मैं जोहारग्राम का आभारी हूँ। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मिलकर कैंसर मरीज़ों की कठिनाइयों का ज़िक्र किया। उसके बाद झारखंड सरकार ने मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना की सीमा 5 से बढाकर 10 लाख करने का निर्णय लिया था।आयुष्मान योजना के प्रावधानों में कई तरह के सुधार की आवश्यकता है। उक्त संबोधन झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश ने अमेरिका के तटीय शहर सैन डियेगो में 7 सितंबर से शुरू वर्ल्ड लंग कैंसर कांफ्रेंस (WCLC-2024) में पेशेंट एडवोकेसी एडुकेशनल अवार्ड से सम्मानित होने के बाद कहा। इस साल यह पुरस्कार पाने वाले भारत के इकलौते शख्सियत हैं। लंग कैंसर पर काम करने वाली दुनिया की प्रतिष्ठित संस्था इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ लंग कैंसर हर साल यह पुरस्कार विश्व के उन चुनिंदा लोगों को देती है, जो अपने-अपने देश में मरीज़ों की आवाज बन चुके हैं। इस साल हिंदुस्तान से रवि के अलावा यह पुरस्कार दुनिया के नौ और लोगों को दिया गया है। इनमें आस्ट्रेलिया और मैक्सिको के 2-2, अमेरिका, इटली, यूके (इंग्लैंड), नाइजीरिया और थाइलैंड से 1-1 पेशेंट एडवोकेट शामिल हैं। इन दस लोगों में रवि इकलौते व्यक्ति हैं, जो खुद मरीज होकर पेशेंट एडवोकेसी करते हैं। बाकी के विजेता या तो केयरगिवर्स हैं या फिर लंग कैंसर के लिए काम करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधि। भव्य समारोह में करीब 100 देशों के प्रतिनिधियों के समक्ष यह पुरस्कार दिया गया।
झारखंडी बंडी में लिया रवि ने पुरस्कार:
यह पुरस्कार लेते वक्त पत्रकार रवि प्रकाश ने झारखंड की विशेष बंडी पहनी थी और उन्होंने सरना गमछा भी रखा था। विश्व लंग कैंसर कांफ्रेंस में 100 देशों के प्रतिनिधियों के बीच अपने परिधान से रवि ने बड़ी बारीकी से सरना धर्म कोड की वकालत वैश्विक स्तर पर कर दी। यह प्रस्ताव फ़िलहाल भारत सरकार के पास विचाराधीन है।
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