झारखंड हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी का एक और मामला सामने आया है। जिसके तहत प्रार्थी की ओर से कोर्ट में अवमाना याचिका दाखिल की गयी है। मामला हो भाषा के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति से जुड़ा है। झारखंड हाईकोर्ट ने इसी साल के मई महीने में जेपीएससी को निर्देश दिया था कि वो असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति का परिणाम 31 जुलाई तक हर हाल में जारी कर दे। जिससे असिसस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो सके। लकिन जेपीएससी ने वर्तमान समय तक यानी अक्टूबर बीत जाने तक भी परिणाम जारी नहीं किया है। इसी के बाद प्रार्थी की ओऱ से हाइकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गयी है। बता दें कि मामले की सुनवाई हाईकोर्ट बेंच कर रही है। प्रार्थी सरस्वती गगराई की ओऱ से अवमानना याचिका दाखिल की गयी है।
मार्च 2023 में नियुक्ति के लिए साक्षात्कार लिया गया था
दायर याचिका में प्रार्थी ने कहा है कि मार्च 2023 में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए साक्षात्कार लिया गया था। लेकिन साक्षात्कार की अवधि समाप्त होने के बाद भी परिणाम प्रकाशित नहीं किया गया। इस मामले को हाईकोर्ट के संज्ञान में दिया गया। कोर्ट की ओर से जेपीएससी को 31 जुलाई तक परिणाम जारी करने के लिए कहा गया। फिर भी जेपीएससी इस मामले में चुपचाप है। होईकोर्ट में प्रार्थी गोराई की ओऱ से एडवोकेट शुभाशीष रसिक सोरेन दलीलें पेश कर रहे हैं। हालांकि मामले में अगली सुनवाई कब होगी, इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है। असिस्टेंट प्रोफेसर के अभ्यर्थियों में इस बात को लेकर आक्रोश व्याप्त है।
हटा दी गयी है सहायक आचार्य नियुक्ति प्रक्रिया पर लगी रोक
बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट के आदेश से जेएसएससी की ओऱ से ली गयी 26 हजार सहायक आचार्य की नियुक्ति प्रक्रिया पर लगी रोक भी हटा दी गयी है। हाईकोर्ट ने इस बाबत इसी साल अगस्त महीने में आयोग को आदेश जारी किया है। गौरतलब है कि इस दिशा में आयोग की ओर से आवेदन की कागजी प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। 26 हजार पदों पर होने वाली सहायक आचार्य की नियुक्ति मामले में बीआरपी-सीआरपी को 50 फीसदी आरक्षण नहीं दिये जाने को लेकर विवाद शुरू हो गया था। इसकी मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच में की गयी थी। कई चरणों में सुनवाई होने के बाद कोर्ट ने इस संबंध में संशोधित आदेश आयोग को जारी किया है।