Thursday, November 21, 2024

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आज से ऐतिहासिक हारुडीह मेला में दिखेगा भारत का सांस्कृतिक संगम

28 Jan 2023


कांग्रेस महतो
चांडिल: कोल्हान प्रमंडल के सरायकेला खरसावां जिला अंतर्गत चांडिल प्रखंड के हारुडीह गांव में सार्वजनिक सरस्वती पूजा कमिटी हारुडीह - धातकीडीह द्वारा 1911 ई. में माता सरस्वती की मंदिर स्थापना किया गया है। सरस्वती पूजा के दो दिन बाद शुरू होने वाली यहां के पांच दिवसीय मेला झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं ओड़िशा राज्य में ख्याति प्राप्त है। तीन राज्यों के लाखों श्रद्धालु मेला में आते हैं और माता सरस्वती के चरणों में माथा टेक कर विद्या बुद्धि ज्ञान का आशीर्वाद लेते हैं। हर साल मेला में विभिन्न भाषाओं के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम, संथाली ड्रामा आदि आकर्षण का केंद्र होता है।

मंदिर के पुजारी अशोक कुमार पांडे ने बताया कि विद्या की देवी माँ शारदा जिस मस्तिष्क में विराजमान होती है, वह सभी गुणों से सुशोभित हो जाता है, और समस्त संसार में उसकी ख्याती बढ़ती है। सरस्वती को ज्ञान की अधीष्ठात्रि भी कहा गया है, बिना ज्ञान के मनुष्य का जीवन किसी काम का नही है। सरस्वती की आराधना मन और मस्तिष्क के वेगों को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान कर उसका सम्पूर्ण विकास करती है। प्राचीन ऋषि - महर्षि अपने अन्त:करण को निर्मल कर ब्रह्म विद्या के रूप में अहर्निश महासरस्वती की उपासना करते थे। पूजा व मेला कमिटी के सचिव लक्ष्मीकांत महतो ने बताया कि पूर्वजों द्वारा शुभारंभ किया गया सरस्वती मेला आयोजन का परंपरा को सैकड़ों वर्षों से मनाते आ रहें हैं। मेला में विभिन्न भाषाओं के सांस्कृतिक कार्यक्रम का संगम श्रद्धालु और दर्शकों के लिए आस्था व आकर्षण रहता है।

*पांच दिन तक आयोजित होगा सांस्कृतिक कार्यक्रम*

सार्वजनिक सरस्वती पूजा कमिटी हारुडीह-धातकीडीह द्वारा पांच दिन विभिन्न भाषाओं के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन किया जायेगा। 28 जनवरी को रात्रि 8 बजे से रंगारंग डांस धमाका, 29 जनवरी को आदिवासी पाता नाच एवं दिन 2 बजे से “तपति माहतो, झाड़ग्राम के टीम" द्वारा झुमुर संगीत, रात 10 बजे से सुबह तक बाई नाच ज्योत्सना देवी केन्द्री, पुरुलिया बनाम बिजली देवी कोटशिला तथा रात 10.30 बजे से सुबह तक आदिवासी ड्रामा आदिम ओवर जारपा ओपरा, मयुरभंज, ओड़सा द्वारा गायन-मोने बाड़ीज पेड़ा दादा आलम कुली ईञा “दिशा- उदुरे राही दीदी कल्व गोड़ों सोपहद लेकाते" 30 जनवरी को दिन 2 बजे से "तापती महतो एवं समीर महतो" (झाड़ग्राम) द्वारा झुमूर संगीत तथा रात 10.30 बजे से उस्ताद पद्मश्री स्व:गम्भीर सिंह मुण्डा के सुपुत्र अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कार्त्तिक सिंह मुण्डा बनाम अपर्णा महतो के महिला दल का मानभूम शैली छऊ नृत्य, 31 जनवरी को दिन 2 बजे से "उस्ताद - सुरजीत महतो, (झाड़ग्राम)" द्वारा झुमूर संगीत, अंतिम दिन 1 फरवरी को दिन 2 बजे से “विख्यात झुमुर सम्राट सुरजीत एवं शिल्पी दिपीका, (झाड़ग्राम)" द्वारा झुमुर संगीत प्रस्तुत किया जायेगा एवं रात्रि 10.30 बजे से उस्ताद विनाधर कुमार बनाम विख्यात विकास महतो द्वारा छऊ नृत्य प्रस्तुत किया जायेगा।