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हेमंत सोरेन ने अत्यंत गरीबी से बाहर निकलने वाली 400 महिलाओं को किया सम्मानित

07 Dec 2022


रांची, 7 दिसंबर, 2022: द/नज इंस्‍टीट्यूट ने आज 400 परिवारों के अपने ‘एंड अल्‍ट्रा-पोवर्टी’ प्रोग्राम से स्‍नातक करने की घोषणा की। यह कार्यक्रम 'दीदियों' या अत्यधिक गरीब परिवारों की महिलाओं, जिनमें विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों से संबंधित महिलाएं शामिल हैं, के साथ मिलकर काम करता है लेकिन यह इन तक ही सीमित नहीं हैं। इस कार्यक्रम का मकसद उन्हें अपनी खाद्य सुरक्षा में सुधार करने, स्‍थायी आजीविका विकसित करने, सरकार से मिलने वाले अधिकारों तक पहुंच को सक्षम बनाने और उन्हें स्थानीय सामुदायिक संस्थानों में सामाजिक और आर्थिक रूप से शामिल करने में मदद करना है।

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने 400 महिलाओं को सम्मानित किया । इस अवसर पर उन्‍होंने कहा,'”मैं द/नज इंस्‍टीट्यूट संस्‍था के झारखंड के इस प्रांत के सबसे गरीब लोगों को स्‍वावलंबी बनाने के प्रयास के लिए सभी सदस्‍यों को बहुत धन्‍यवाद दूंगा। आपके निरंतर प्रयास से आपने यहां मौजूद दीदियों को अपने पैरों पर खड़े होने की ताकत दी है, आपका जो उद्देश्‍य है वही हमारा है। मैं उम्‍मीद करता हूं कि हमारी दीदियां खुद स्‍वावलंबी होने के बाद अपने पूरे परिवार का भरण-पोषण करेंगी।''



झारखंड सरकार गरीबों को ध्‍यान में रखते हुए व्‍यापक स्‍तर पर कई कार्यक्रम चला रही है और उसके पहुंच और प्रभाव में सुधार के तरीके खोजती रहती है। विशेष रूप से, राज्य में अत्यंत गरीब परिवारों में महिलाओं के समक्ष आने वाली चुनौतियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। प्राथमिकता के बावजूद, सरकार और बाज़ार दोनों को अति-गरीबों तक पहुंचना और उन्‍हें सेवाएं प्रदान करना कठिन लगता है। वे खाद्य के मामले में असुरक्षित हैं, सरकारी कार्यक्रमों और बाज़ार समाधानों तक पहुंचने में असमर्थ हैं, पर्याप्त उत्पादक संपत्तियों और ऋण तक पहुंच की कमी है और महत्वपूर्ण रूप से खुद को गरीबी से बाहर निकालने के लिए आवश्यक जीवन, साक्षरता और आजीविका कौशल की कमी है।

इस आवश्यकता को पूरा करने के उद्देश्य से द/नज इंस्‍टीट्यूट के 'एंड अल्‍ट्रा-पोवर्टी' प्रोग्राम का उद्देश्य बड़े पैमाने पर अति-गरीबों को लक्षित करने के लिए सरकार के प्रयासों में योगदान देना है। झारखंड में इस कार्यक्रम की शुरुआत 2018 में की गई थी। केपीएमजी, एलएंडटी इंफोटेक और द रॉकफेलर फाउंडेशन इस कार्यक्रम के प्रमुख भागीदार हैं, जो झारखंड और पूरे भारत में 'दीदियों' के जीवन में प्रभावशाली बदलाव लाने में द/नज को सक्षम बनाते हैं।

इस तरह के कार्यक्रमों की आवश्यकता और प्रभाव को समझते करते हुए, झारखंड स्‍टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) ने 3 साल के दौरान 4000 परिवारों को सहायता प्रदान करने के लिए डीएवाई-एनआरएलएम और द/नज इंस्टीट्यूट के सहयोग से यूपीएजे (अल्ट्रा-पुअर ग्रैजुएशन एप्रोच इन झारखंड) शुरू किया है। द/नज इंस्‍टीट्यूट, डीएवाई-एनआरएलएम, एमओआरडी के साथ सहयोग करता है और बड़े पैमाने पर कार्यक्रम को अपनाने में सहायता करता है।

द/नज ने 2019 में झारखंड के लोहरदगा, लातेहार और गुमला जिले में 'ग्रैजुएशन एप्रोच' का उपयोग करते हुए कार्यक्रम शुरू किया था। यह बांग्लादेश में बीआरएसी का एक अग्रणी मॉडल है, जो अत्‍यंत गरीब परिवारों की महिलाओं के लिए लचीली आजीविका बनाने के लिए गहन और निरंतर समर्थन की पेशकश पर केंद्रित है। कोविड महामारी की दो लहरों का अपनी बहादुरी और लचीली यात्रा का सामना करने के बाद आज ग्रैजुएशन करने वाली 400 दीदियां अति-गरीबी से बाहर निकल रही हैं।

द/नज इंस्‍टीट्यूट के संस्‍थापक और मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी अतुल सतीजा ने कहा, ‘‘दीदियों के हमारे पहले बैच के स्नातक होने के साथ ही आज हमारी यात्रा का एक महत्वपूर्ण दिन है। हमें खुशी है कि इस मिशन में मदद करने के लिए हमें मजबूत साझेदार मिले हैं और हम और अधिक समर्थन जुटाने के तरीके तलाशना जारी रखेंगे। सबसे कमजोर परिवारों की महिलाओं की सेवा करने की झारखंड सरकार और डीएवाई-एनआरएलएम की प्राथमिकता का समर्थन करते हुए हमें खुशी हो रही है।’’

3 साल के हस्तक्षेप के बाद, एंड अल्ट्रा-पोवर्टी प्रोग्राम के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। बेहतर वित्तीय समावेशन भी देखा गया क्योंकि 93% दीदियों के अब बचत करने खबर है, जबकि इस हस्तक्षेप से पहले यह 19% था। इसी तरह परिवारों के खाने-पीने की स्थिति भी बेहतर हुई है। 79% दीदियों के पास अब किचन गार्डन है (ऐसी गतिविधि जो हस्तक्षेप से पहले उन्‍होंने नहीं की थी), जो उनकी खाद्य सुरक्षा को और मजबूत कर रही है।

कार्यक्रम के एक अभिन्न अंग के तौर पर आजीविका संवर्धन ने भी सकारात्मक परिणाम दिए हैं। सभी दीदियां अब कम से कम एक ऐसी आजीविका गतिविधि में शामिल हैं जो परियोजना समर्थित हैं। हस्तक्षेप से पहले 2% की तुलना में अब 99% परिवारों के पास छोटे पशुधन (बकरियां और सूअर) हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि परियोजना समर्थित गतिविधियों के माध्‍यम से 91% दीदियां अब अतिरिक्त 12,000 रुपये या इससे अधिक वार्षिक आय कमा रही हैं। 91% पात्र दीदियों को पीवीटीजी पेंशन और 97% दीदियों के पास मनरेगा जॉब कार्ड होने के साथ दीदियों कबे बीच सरकारी योजनाओं की पात्रता तक बेहतर पहुंच देखी गई।

देवांग भंडारी, ग्‍लोबल सीओओ – ईएसजी एडवाइज़री, केपीएमजी ने कहा, ''द/ नज इंस्‍टीट्यूट के साथ हमारी भागीदारी गरीबी कम करने के साक्ष्‍य-आधारित मॉडलों पर आधारित है, जैसे कि भारत में अत्‍यंत गरीबी में गुजर-बसर कर रहे 23 मिलियन परिवारों को समर्थ बनाने के लिए ग्रैजुएशन एप्रोच अपनाना। हम इस प्रयास में द/नज के सहयोग के आभारी हैं।''

झारखंड में इस कार्यक्रम के तहत काम जारी है और अब राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करते हुए कर्नाटक में भी इसका विस्तार किया गया है।

द/नज इंस्‍टीट्यूट के बारे में
द/नज एक एक्शन संस्थान है जो हमारे जीवनकाल के दौरान गरीबी-मुक्त भारत की दिशा में काम कर रहा है। हम अपने सेंटर फॉर स्किल डेवलपमेंट एंड ऑन्‍ट्ररप्रेन्योरशिप (सीएसडीई), सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट (सीआरडी) और सेंटर फॉर सोशल इनोवेशन (सीएसआई) के माध्यम से सभी के लिए लचीली आजीविका का निर्माण करने के लिए सरकारों, बाज़ारों और नागरिक समाज के साथ साझेदारी करते हैं।
अधिक जानकारी के लिए, देखें: http://www.thenudge.org
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